Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Oct, 2017 01:33 PM
मोदी सरकार की महत्वकांक्षी योजना बुलेट ट्रेन का लोगो बनाने की प्रतियोगिता ...
नई दिल्ली : मोदी सरकार की महत्वकांक्षी योजना बुलेट ट्रेन का लोगो बनाने की प्रतियोगिता जीतने वाले नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (एनआईडी) अहमदाबाद के स्टूडेंट चक्रधर आला इससे पहले 30 बार लोगो बनाने की कोशिश में फेल हो चुके थे उन्हें 31 वीं बार कोशिश करने पर इसमें सफलता हासिल हुई है।
ऐसे फाइनल हुआ लोगो
इस कॉम्पिटिशन का आयोजन मशहूर सतीश गुजराल की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय स्क्रीनिंग कमिटी ने किया था। बाकी दो पैनलिस्ट नीति आयोग के सदस्य थे और अभी राष्ट्रीय हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) के अधिकारी थे। चीता को इसलिए चुना गया, क्योंकि यह गति को रिप्रेजेंट करता है।लोगो में नीली और लाल रेखाएं हैं, जो 'शांत और विश्वसनीयता का प्रतीक है'।
मिलेगा एक लाख का इनाम
स्टूडेंट चक्रधर ने कहा कि उसने मोदी सरकार के द्वारा mygov.in पर डिजाइन की जितनी भी प्रतियोगिता चलाई जाती हैं, उनमें हिस्सा लिया है,लेकिन लगातार वह फेल ही होता रहा। अब अंत में बुलेट ट्रेन के लोगो को ज्यूरी ने पसंद कर लिया है। उन्होंने हाई स्पीड के लोकोमोटिव इंजन पर चीता की रूपरेखा में (NHSRCL) नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन का लोगो तैयार किया है। इसे जल्द ही आधिकारिक रूप से इस्तेमाल किया जाएगा।चक्रधर को सरकार लोगो के लिए एक लाख रुपये का इनाम भी देगी उन्होंने कहा कि उसके डिजाइन में देश की इस ‘हाई स्पीड ट्रेन’ के कई पहलुओं को समाहित किया गया है। चक्रधर ने कहा, ‘‘मेरा डिजाइन दिखने में बेहद सरल है लेकिन इसमें गहरे अर्थ छिपे हैं। चीता जहां तेज गति, विश्वसनीयता और भरोसे को दर्शाता है वहीं यह लोगो इसके शरीर पर उकेरे गये रेल नेटवर्क के साथ किसी पारंपरिक ट्रेन का मानचित्र भी प्रदर्शित करता है।’’ मूल रूप से हैदराबाद के रहने वाले चक्रधर के पिता एक नौकरशाह हैं और उनकी माता शहर के स्कूल में प्रधानाध्यापिका हैं।‘‘मैंने स्वच्छ भारत और बेटी बचाओ जैसे कई कार्यक्रमों का लोगो बनाया है ,लेकिन ट्रेननुमा चीता की डिजाइन मेरी पहली जीत है। मैं इसे बेहतर कर सकता था।’’
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ 14 सितंबर को अहमदाबाद में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की नींव रखी थी ।ये ट्रेन अहमदाबाद से मुंबई तक चलेगी। इस प्रोजेक्ट में लगभग 1 लाख करोड़ रुपए का खर्च आएगा। पूरा पैसा जापान की ओर से लगाया जाएगा, इसके लिए भारत को सिर्फ 0.1 फीसदी की ब्याज दर से कर्ज मिलेगा।