स्कूली बस्ते के बोझ से बेहाल देश के नौनिहाल

Edited By ,Updated: 26 Feb, 2017 10:45 AM

crushed by the weight of school bags the sapling

देश के छोटे बड़े शहरों में भारी-भरकम स्कूल बैग, टिफिन बॉक्स तथा पानी की बोतल लेकर झुकी कमर और तिरछी चाल चलते मासूम स्कूल आते जाते दिख जाएंगे । इन मासूमों से स्कूली बस्ते सहजता से उठते भी नहीं ...

नई दिल्ली : देश के छोटे बड़े शहरों में भारी-भरकम स्कूल बैग, टिफिन बॉक्स तथा पानी की बोतल लेकर झुकी कमर और तिरछी चाल चलते मासूम स्कूल आते जाते दिख जाएंगे । इन मासूमों से स्कूली बस्ते सहजता से उठते भी नहीं, लेकिन वे स्कूल बैग ढोने के लिए मजबूर हैं। सरकार ने हालांकि कहा है कि वह बच्चों पर बस्ते का बोझ कम करने के लिए मानदंड तैयार करने जा रही है। सीबीएसई बस्ते का बोझ कम करने के लिए निर्देश जारी करती है लेकिन इनका अनुपालन सुनिश्चित करना अभी भी दूर की कौड़ी बना हुआ है । जाने माने शिक्षाविद एवं वैज्ञानिक प्रो. यशपाल के नेतृत्व वाली समिति ने स्कूली बच्चों के पाठ्यक्रम के बोझ में कमी की सिफारिश की थी, लेकिन दो दशक से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय अब छात्रों के स्कूली बस्तों का बोझ कम करने के इरादे से सीबीएसई स्कूलों के लिए नया मानदंड तैयार करने पर काम कर रहा है।  मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने ‘भाषा’ से कहा कि बच्चों को भारी बस्ता ढोना नहीं पड़े, यह सुनिश्चित किये जाने की जरूरत है। हम सीबीएसई स्कूलों के लिए एेसे मानदंड बनाने की तैयारी में हैं ताकि बच्चों को अनावश्यक रूप से किताब-कॉपी नहीं ले जाना पड़े।

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड :सीबीएसई: ने अपने स्कूलों से दूसरी कक्षा तक के छात्रों के लिए स्कूल बस्ता लेकर नहीं आने और आठवीं कक्षा तक सीमित तादाद में किताबें लेकर आने का निर्देश दिया है। साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय इन मानदंडों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए इन पहलुआें पर काम कर रहा है। बोर्ड ने स्कूल बैग के भार को कम करने की जरूरत बताते हुए कहा है कि कक्षा एक या दो के छात्रों को गृहकार्य न दिया जाए और उच्च कक्षाआें में भी समयसारणी के अनुरूप ही केवल जरूरी पुस्तकें लाना सुनिश्चित किया जाए।  

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