दिल्ली सरकार ने डीयू के 28 कालेजों को धन देने पर लगाई  रोक

Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Jul, 2017 06:48 PM

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दिल्ली सरकार ने वित्त विभाग को दिल्ली विश्वविद्यालय के 28 कॉलेजों ...

नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने वित्त विभाग को दिल्ली विश्वविद्यालय के 28 कॉलेजों में दिए जाने वाले फंड को तत्काल प्रभाव से रोकने के आदेश दिए हैं। सरकार ने यह फैसला कई महीनों से विश्वविद्यालय द्वारा शासकीय निकायों की नियुक्ति में नाकामी के बाद किया।  

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने ट्वीट करके कहा, वित्त विभाग को दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित सभी 28 डीयू कालेजों की फंडिंग पर रोक रोकने का आदेश दिया है, क्योंकि डीयू बीते दस महीने से शासकीय निकायों के गठन का इच्छुक नहीं है। उन्होंने कहा, मैं शिक्षा के नाम पर दिल्ली सरकार के कोष पर जारी बिना जांच वाले भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को अनुमति नहीं दे सकता। मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत दिल्ली विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार तरूण दास इस मुद्दे पर टिप्पणी के लिए मौजूद नहीं थे। 

दरअसल, दिल्ली यूनिवर्सिटी में तमाम कॉलेजों के लिए गवर्निंग काउंसिल का गठन किया जाता है, लेकिन इन 28 कॉलेजों में सितंबर 2016 के बाद से अबतक इन कमेटियों का गठन नहीं किया गया है। दिल्ली सरकार ने इससे पहले भी विश्वविद्यालय पर केंद्र सरकार के दबाव में गवर्निंग काउंसिल के गठन में देरी का आरोप लगाया था। इन 28 कालेजों में से 12 कालेज सौ फीसदी और 16 कालेज पांच प्रतिशत सरकारी फंडिंग पर चलते हैं और इनमें अक्तूबर 2016 से पूर्ण शासकीय निकाय नहीं हैं।

यह पहली बार है जब संस्थाओं को तीन महीने का विस्तार नहीं दिया गया था। फरवरी में डीयू ने दिल्ली सरकार को नामों की सूची सौंपी थी जिसके बाद आप सरकार ने मार्च में सूची कार्यकारी परिषद के पास मंजूरी के लिए भेजी थी लेकिन डीयू द्वारा इस पर कोई फैसला नहीं किया गया।  

मई में दिल्ली सरकार ने गवर्निंग काउंसिल के सदस्यों की लिस्ट को मंजूरी के लिए विश्वविद्यालय के एक्जिक्यूटिव काउंसिल को भेजा, जिस पर विश्वविद्यालय ने मंजूरी नहीं दी। इतना ही नहीं 6 जुलाई को एग्जीक्यूटिव काउंसिल की पप्रस्तावित बैठक भी टाल दी गई। इसी तरह से 14 जुलाई को भी एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में गवर्निंग काउंसिल के सदस्यों वाली लिस्ट पर चर्चा तो हुई, लेकिन इसे मंजूरी नहीं मिली है। बल्कि विश्वविद्यालय में एक कमेटी बनाकर इन नामों पर पुनर्विचार करने के लिए भेज दिया। 

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