इंजीनियरिंग-प्रबंधन के 1389 कोर्स व 66 तकनीकी कालेज बंद

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Nov, 2017 11:18 AM

engineering management 1389 courses and 66 technical colleges closed

कभी पेशेवर शिक्षा लेने वालों के लिए कालेजों का टोटा हुआ करता था लेकिन आज ...

नई दिल्ली : कभी पेशेवर शिक्षा लेने वालों के लिए कालेजों का टोटा हुआ करता था लेकिन आज उलटा हो रहा है। कालेज ज्यादा हो गए हैं और पढऩे वाले कम। ऊपर से कालेजों की खराब गुणवत्ता का संकट। नतीजा यह है कि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (ए.आई.सी.टी.ई.) ने इस साल इंजीनियरिंग व प्रबंधन से जुड़े 1389 तकनीकी पेशेवर कोर्स और 66 तकनीकी कालेजों को बंद करने का ऐलान किया है। परिषद ने इन कोर्स और कालेजों का ब्यौरा अपनी वैबसाइट पर डाल दिया है। परिषद के अनुसार जिन कालेजों को बंद किया गया है उनमें ज्यादातर राजस्थान, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, तेलंगाना के हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड तथा हरियाणा के भी कुछ कालेज शामिल हैं।

बंद होने वाले 70 प्रतिशत कालेज इंजीनियरिंग  
बंद होने वाले 70 प्रतिशत कालेज इंजीनियरिंग, 25 प्रतिशत प्रबंधन तथा बाकी अन्य पेशेवर शिक्षा से जुड़े हैं। ए.आई.सी.टी.ई. के नियमों के मुताबिक यदि किसी कालेज में सीटें 30 प्रतिशत से ज्यादा नहीं भर पाती हैं तो उन्हें बंद करने को कह दिया जाता है। कालेजों में इस सत्र से नए एडमिशन लेने पर रोक लगाई गई है लेकिन जो छात्र पहले से पढ़ रहे हैं उन्हें कोर्स पूरा होने तक कालेज चलाना होगा। अंतिम बैच के निकलने के बाद कालेज पूरी तरह से बंद हो जाएगा।

कालेजों ने किया अनुरोध
ए.आई.सी.टी.ई. के एक अधिकारी के अनुसार इंजीनियरिंग, प्रबंधन, फार्मेसी आदि के कुल 1389 कोर्स को भी बंद किया गया है। इसमें कई कोर्स कालेजों ने खुद बंद करवाने का अनुरोध किया था जबकि कई कोर्स कालेजों को संसाधनों मसलन फैकल्टी की कमी आदि के चलते बंद करना पड़ा है। दरअसल ए.आई.सी.टी.ई. के नियमों के मुताबिक कोर्स की संख्या और सीटों के मुताबिक फैकल्टी भी होनी चाहिए। इंजीनियरिंग कालेजों में आमतौर पर दूसरी शिफ्ट के कोर्स को बंद किया गया है। कालेजों की संख्या बढऩे के कारण छात्र आमतौर पर शाम की शिफ्ट में एडमिशन नहीं लेते हैं।

सीटें ज्यादा, पढऩे वाले कम
इंजीनियरिंग की 18 लाख सीटें हैं जिनमें आधी से अधिक खाली रह जाती हैं। सिर्फ 40 प्रतिशत को ही रोजगार मिल पा रहा । राज्यों की सिफारिश के बिना ए.आई.सी.टी.ई. नए इंजीनियरिंग कालेज खोलने की अनुमति नहीं देगा। जिन इंजीनियरिंग कालेजों की सीटें नहीं भर रही हैं उन्हें पॉलीटैक्निक कालेज में कन्वर्ट करने का विकल्प दिया गया है।इंजीनियरिंग कालेजों को कहा गया है कि यदि उनके पास सीटें घट रही हैं तो वे आसपास के कालेजों के साथ मर्जर करें।

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