Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Jan, 2018 11:52 AM
देश की सबसे मुश्किल परीक्षाओं में से एक मानी जाने वाली सिविल सेवा यानि यूपीएससी की तैयारी कर रहे युवाओं को राहत देते हुए...
नई दिल्ली : देश की सबसे मुश्किल परीक्षाओं में से एक मानी जाने वाली सिविल सेवा यानि यूपीएससी की तैयारी कर रहे युवाओं को राहत देते हुए केंद्र सरकार सरकार ने परीक्षा के नियमों में कोई बदलाव नहीं किया है। परीक्षा में बैठने की आयु सीमा में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है। अटकलें थी कि बासवान समिति की सिफारिशों को लागू करते हुए सरकार ऊपरी आयु सीमा को 32 साल से घटाकर 26 साल कर सकती है। लेकिन सरकार ने इन अटकलों को खारिज कर दिया है।
केंद्रीय कार्मिक राज्यमंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि फिलहाल परीक्षा के नियमों में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है। जिन नियमों के तहत परीक्षा पिछले साल हुई थी, वह इस बार भी रहेंगे। गौरतलब है कि सिविल सेवा परीक्षा में बैठने के लिए अभी न्यूनतम आयु 21 साल और अधिकतम आयु (सामान्य वर्ग) 32 साल है। पूर्व सचिव बी. एस. बासवान की समिति ने अधिकतम आयु को घटाकर 26 साल करने की सिफारिश अपनी रिपोर्ट में की थी। लेकिन मंत्रालय ने अभी रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में रखने का फैसला किया है क्योंकि इस कदम का विरोध होने की संभावना है। सिविल सेवा में बैठने के लिए न्यूनतम आयु 21 साल है। जबकि सामान्य उम्मीदवारों के लिए अधिकतम आयुसीमा 32 साल, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 35 साल, अनुसूचित जाति/जन जाति के लिए 37 साल तथा दिव्यांगों के लिए 42 साल है। लेकिन इसमें शर्त यह है कि सामान्य उम्मीदवार को अधिकतम छह मौके, ओबीसी को नौ मौके मिलेंगे। अनुसूचित जाति/जन जाति के लिए मौकों की सीमा नहीं है।
इसलिए ही आयु सीमा के दायरा बड़ा होने के हर साल तकरीबन 6 लाख उम्मीदवार सिविल सेवा प्राथमिक परीक्षा में बैठते हैं। जिसमें सफलता की दर 0.1 फीसदी है। मुख्य परीक्षा में करीब 15 हजार उम्मीदवार पहुंचते हैं जबकि साक्षात्कार के बाद चयन तकरीबन एक हजार उम्मीदवारों का होता है। यह परीक्षा आईएएस, आईपीएस समेत कुल 24 सेवाओं के लिए यह परीक्षा होती है। इसमें 19 सेवाएं समूह ए तथा पांच सेवाएं समूह बी की हैं।