निजी स्कूल नहीं कराते हैं अपने कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Sep, 2017 04:29 PM

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गुरूग्राम के एक निजी स्कूल में सात साल के बच्चे की नृशंस हत्या के बाद राष्ट्रीय...

नई दिल्ली : गुरूग्राम के एक निजी स्कूल में सात साल के बच्चे की नृशंस हत्या के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) और बाल अधिकार संगठनों का कहना है कि ‘ज्यादातर निजी स्कूल सुरक्षा दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हैं और अपने कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन तक नहीं कराते हैं।’   बीते शुक्रवार को गुरूग्राम के रयान इंटरनेशनल स्कूल में सात साल के बच्चे की हत्या की सनसनीखेज घटना सामने आने के बाद एनसीपीसीआर के एक दल ने स्कूल का दौरा किया और पाया कि ‘इस मामले में स्कूल प्रबंधन की लापरवाही स्पष्ट तौर पर नजर आती है।’ 

एनसीपीसीआर के प्रियंक कानूनगो ने कहा, ‘‘यह बहुत अफसोसजनक है कि स्कूल बच्चों की सुरक्षा से जुड़े दिशानिर्देशों का सही से क्रियान्वयन नहीं कर रहे हैं। यह देखा गया कि इस स्कूल ने कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन भी नहीं कराया था। निजी स्कूलों में यह बड़ी समस्या है और इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है।’’उन्होंने कहा, ‘‘बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ को स्वीकार नहीं किया जा सकता। हम राज्य प्रशासनों और शिक्षा बोर्डों से कहना चाहते हैं कि वे स्कूलों में सुरक्षा दिशानिर्देशों का सख्ती से क्रियान्वयन सुनिश्चित करें।’’उन्होंने कहा कि ,‘‘सुरक्षा दिशानिर्देशों का उचित क्रियान्वयन नहीं हो पाने के लिए व्यवस्था से जुड़ी हर इकाई जिम्मेदार है। राज्य प्रशासन, जिला प्रशासन और शिक्षा बोर्डों तथा हम सभी कहीं न कहीं इसके लिए जिम्मेदार हैं। हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी बनती है, इसलिए हम सभी को इसके उचित क्रियान्वयन के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे।’’ 

आयोग की तरफ से सुरक्षा दिशानिर्देशों के अनुपालन के संदर्भ में प्रशासनों और बोर्डों को कई बार लिखा जा चुका है, लेकिन इसका कोई खास असर नहीं दिख रहा है।  बाल अधिकार कार्यकर्ता और ‘वल्ड फॉर इक्वेलिटी नामक संगठन से जुड़े वरूण पाठक का कहना है कि जिनको हम लोग नामी स्कूल कहते हैं वो सुरक्षा दिशानिर्देशों की सरेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। हमने जमीनी स्तर पर अध्ययन के दौरान पाया कि ज्यादातर निजी स्कूल अपने कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन भी नहीं कराते ताकि उनको कम वेतन देना पड़े और उनको आसानी हो। यह सुरक्षा दिशानिर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है। अपनी सहूलियत और फायदे के लिए ये स्कूल बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहे हैं।’’उन्होंने कहा, ‘‘कई बार तो ऐसा लगता है कि स्थानीय प्रशासन इन स्कूलों के सामने लाचार है। इन स्कूलों के प्रबंधन अपने खिलाफ चीजों को दबाते हैं और सरकार की किसी बात को नहीं सुनते।’’

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