केजरीवाल सरकार के शिक्षा स्तर में सुधार के दावे खोखले माकन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Nov, 2017 07:04 PM

kejriwal  s government claims to improve education level

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन ने अरविंद केजरीवाल सरकार के राजधानी के सरकारी ...

नई दिल्ली : दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन ने अरविंद केजरीवाल सरकार के राजधानी के सरकारी स्कूलों में शिक्षा के सुधार के दावों को खोखला बताते हुए कहा है कि पिछले तीन साल के दौरान इन विद्यालयों में बच्चों की संख्या तेजी से घटने के साथ ही उच्चतर माध्यमिक स्तर के परीक्षा में उत्तीर्ण छात्रों का आंकड़ा भी कम हुआ है। माकन ने कहा कि इतना ही नहीं, दिल्ली सरकार शिक्षा बजट में बढोतरी के बडे-बडे दावे करती है, किंतु वास्तविकता यह है कि यह आवंटित बजट का बडा हिस्सा खर्च करने में नाकाम रही है ।  

प्रदेश अध्यक्ष ने दिल्ली में सरकारी स्कूलों की हकीकत पर संवाददाता समेलन में रिपोर्ट पेश करते हुए आरोप लगाया कि सरकार विज्ञापन  में बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन वास्तविकता इससे कोसो दूर है। सरकार का यह दावा है कि उसके कार्यकाल में 5600 कक्षा के कमरे बढाये गए हैं, लेकिन इसके उलट 2013-14 के 17.75 लाख बच्चों की तुलना में 2015 -16 में छात्रों की संख्या 8 हजार घटकर 16.77 लाख रह गई जबकि निजी स्कूलों में यह इस दौरान 26.21 लाख के मुकाबले1.42 लाख बढकर 27.53 लाख पर पहुंच गई । उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनसंख्या बढने की दर सालाना 2.42 प्रतिशत है, जबकि इसकी तुलना में नये सरकारी स्कूलों में इजाफा महज 0.60 प्रतिशत ही हुआ है। इस दौरान सरकारी स्कूलों की संख्या 1627 से बढकर 1684 हो गई।  बारहवीं कक्षा में उत्तीण विद्यार्थियों का जिक्र करते हुए माकन ने कहा कि इसमें भी निजी स्कूलों की तुलना में गिरावट आई है। वर्ष 2015 में उच्चतर माध्यमिक बोर्ड में पास होने वालों की संख्या 1.24 लाख थी, जबकि 2017 में यह गिरकर 1.0 लाख रह गई। 

दूसरी तरफ निजी स्कूलों में यह आंकड़ा 67 हजार से बढकर 91 हजार पर पहुंच गया। इस अवधि में सरकारी स्कूलों में 12 वीं की परीक्षा में बैठने वालों विद्यार्थियों की संख्या भी 1.40 लाख से घटकर 1.23लाख रह गई । वहीं दूसरी ओर निजी स्कूलों के मामले में यह 75 हजार से बढकर 1.08 लाख पर पहुंच गई । माकन ने कहा कि सरकार शिक्षा के बजट में बढोतरी के दावे बहुत करती है, लेकिन वास्तविकता यह है कि 2015-16 में आवंटित बजट का 13.55 प्रतिशत अर्थात 1000.73 करोड रुपए और 2016-17 में 981.45 करोड अर्थात 11.57 प्रतिशत राशि खर्च नहीं की गई। इस तरह दो साल में शिक्षा बजट के लिए आवंटित राशि में से 1982 करोड रुपए की भारी रकम व्यय ही नहीं की जा सकी ।  

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