प्राइवेट स्कूलों को टेकओवर करने की तैयारी में केजरीवाल सरकार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Aug, 2017 07:22 PM

kejriwal government in preparation for takeover of private schools

दिल्ली सरकार अभिभावकों को राहत देने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है। निजी स्कूलों द्वारा ...

नई दिल्ली : दिल्ली सरकार अभिभावकों को राहत देने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है। निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों से मनमानी फीस वसूलने के मामले में दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय की ओर से हाईकोर्ट को 449 निजी स्कूलों को टेकओवर करने का प्रस्ताव दिया है। दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट से कहा कि वह स्कूलों को टेकओवर करने को तैयार है। इन स्कूलों में दिल्ली पब्लिक स्कूल मथुरा रोड, स्प्रिंग डेल, अमिटी इंटरनेशनल साकेत, संस्कृति स्कूल, मॉडर्न पब्लिक स्कूल भी शामिल हैं। 

दरअसल 554 स्कूलों पर फीस बढ़ाने का आरोप था. इस मामले में हाईकोर्ट ने जस्टिस अनिल दवे कमेटी बनाई थी जिसमें बढ़ी फीस को नौ फीसदी ब्याज दर से अभिभावकों को लौटाना था। लेकिन 554 में से 449 स्कूलों ने पैसा वापस नहीं किया। स्कूलों द्वारा राशि वापस न करने के मुद्दे पर बुधवार को हाईकोर्ट की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने डिफाल्टर स्कूलों को टेकओवर करने की इच्छा जाहिर की थी। 

मंजूरी के लिए उपराज्यपाल को भेजा
सरकार ने हाईकोर्ट में कहा कि पैसा नहीं लौटाने वाले इन स्कूलों का प्रबंधन अपने हाथों में लेने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसे मंजूरी के लिए उपराज्यपाल के समक्ष भेज दिया गया है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और नज्मी वजीरी की पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार के शिक्षा सचिव पीएस श्रीवास्तव की ओर यह हलफनामा दाखिल किया गया।

कोर्ट का भी सख्‍त रवैया
हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा है कि नियमों की अनदेखी करने वाले स्कूलों को सबक सिखाने की जरूरत है ताकि भविष्य में कोई मनमानी नहीं कर सके।
 दरअसल 2006-2009 तक की 32 महीने की मनमानी फीस वसूलने वाले करीब एक हजार प्राइवेट स्कूलों की जांच के लिए, 2011 में हाईकोर्ट ने अनिल देव कमेटी का गठन किया था।

 पिछले 6 साल में अनिल देव कमेटी 11 रिपोर्ट कोर्ट को सौंप चुकी है, जिसमें कहा गया है कि करीब 544 स्कूलों ने जरुरत ना होने पर भी अपने स्कूल में फीस बढ़ाई। कोर्ट ने ये 32 महीने (2006 -2009 तक) की बढ़ी हुई फीस 9 फीसदी ब्याज सहित अभिभावकों को लौटाने का निर्देश स्कूलों को दिया था।  लेकिन अब तक 15-20 स्कूलों ने ही ये फीस कोर्ट में जमा करायी है।  हांलाकि हाईकोर्ट ने सरकार के प्राइवेट स्कूलों को टेक ओवर करने के इरादे पर भी सवाल खड़े किए हैं।  कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि जब सरकारी स्कूलों को ही ठीक से चलाने के लिए आपके पास स्टाफ नही है तो इतनी बडी संख्या में प्राइवेट स्कूलों को आप टेक ओवर करके कैसे चलाओगे। अब इस मामले की अगली सुनवाई 6 सितंबर को होगी और उसी दिन दिल्ली सरकार को ये बताना होगा कि अपने टेक ओवर प्लान को लेकर उनके पास जमीनी स्तर पर क्या सरकारी संसाधन हैं।

सरकारी जमीन पर करीब 410 प्राइवेट स्कूल 
दिल्ली में सरकारी जमीन पर करीब 410 प्राइवेट स्कूल हैं। पिछले सेशन में इनमें से 150 स्कूलों ने फीस बढ़ाने के लिए आवेदन किया था। बाद में 25 स्कूलों ने आवेदन वापस ले लिए थे। बाकी बचे स्कूलों में से केवल 5 स्कूलों को ही फीस में मामूली बढ़ोतरी की मंजूरी दी गई थी। इसी साल फरवरी में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ोतरी की मांग को मानना कहीं से उचित नहीं है।  उन्होंने उसी दौरान कहा था कि मनमाने तरीके से फीस वसूलने वाले स्कूलों के खिलाफ जल्द ही सख्त कदम उठाएंगे। 

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