Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Sep, 2017 12:55 PM
बच्चों को जल्द ही अगली बार से किताबों में मोदी सरकार की योजनाओं के बारे में ...
नई दिल्ली : बच्चों को जल्द ही अगली बार से किताबों में मोदी सरकार की योजनाओं के बारे में पढ़ पाएंगे। भारत में अगली जनगणना के लिए तीन साल से कुछ ज्यादा ही दिन बचे हैं।लेकिन एनसीईआरटी की 8वीं क्लास की सामाजिक विज्ञान की पुस्तकों में भारत के संबंध में साक्षरता से जुड़े जो आंकड़े दिए गए हैं, वह 2001 के मुताबिक हैं। दूसरी ओर देश में आवास, बिजली और पाइप से सप्लाई होने वाले पानी से जुड़े आंकड़े 1994 में प्रकाशित आंकड़ों पर आधारित हैं। 10 सालों से इन किताबों में सूचनाओं को न तो अपडेट किया गया है और न ही कोई नई जानकारी जोड़ी गई है।
इसलिए एनसीईआरटी ने इन सब को देखते हुए अपनी पाठ्यपुस्तकों को अपडेट करने की तैयारी शुरू कर दी है। एनसीईआरटी अपनी करीब 182 पुस्तकों को अपडेट करेगा। अब तक एनसीईआरटी ने कुल 1,334 बदलाव किए हैं यानी 7 बदलाव प्रति पुस्तक हुए हैं। इन किताबों में नए पाठ्यक्रमों को शामिल किया जाएगा। इनमें हाल में हुए नए विकास जैसे जीएसटी, नोटबंदी, बेटी बचाव बेटी बढ़ाओ के साथ स्वच्छता अभियान जैसे विषयों को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा पुस्तकों में उच्चारण संबंधित त्रुटियों को दूर किया जाएगा और भाषा को आसान बनाया जाएगा।
एनसीईआरटी के निदेशक हृषिकेश सेनापति ने बताया कि टेक्स्ट्स एक महीने में तैयार हो जाएंगे और उसके तुरंत बाद प्रिंटिंग के लिए भेज दिया जाएगा। पुस्तकों को अप्रैल 2018 में ऐकडेमिक सेशन शुरू होने से पहले मार्च तक स्कूलों और लोगों तक डिलिवर कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया, 'कोई भी छात्र या व्यक्ति अपना ऑर्डर दे सकता है और हमने आर्डर प्राप्त करना शुरू कर दिया है। पुस्तकें डाक से डिलिवर की जाएंगी क्योंकि पुस्तकें दूर-दराज के इलाकों में भी भेजी जानी हैं।'
अगले साल के लिए काउंसिल को अपनी वेबसाइट पर अभी तक 2 करोड़ से ज्यादा पुस्तकों का ऑर्डर मिल चुका है। एनसीईआरटी के निदेशक हृषिकेश सेनापति ने बताया कि उनको पुस्तकों की ज्यादा मांग की उम्मीद है, 'हम यह मानकर चल रहे हैं कि सभी सीबीएसई स्कूल पुस्तकों का ऑर्डर देंगे जिससे इस साल करीब 13 करोड़ पुस्तकों की मांग होगी।' पुस्तकों की बड़ी मांग को ध्यान में रखते हुए एनसीईआरटी ने अपने प्रिंटर्स और वेंडर्स की संख्या बढ़ाई है। इसके अलावा एनसीईआरटी ने पुस्तकों की पेपर क्वॉलिटी पर भी ध्यान दिया है। सेनापति ने बताया, 'हम क्वॉलिटी को ध्यान में रखते हुए 80 जीएसएम पेपर का इस्तेमाल कर रहे हैं जो प्राइवेट और अन्य स्टेट पब्लिशर्स की पुस्तकों के मुकाबले काफी हायर क्वॉलिटी है।'