वाइपर मैन्युफैक्चरिंग : करें कुछ अलग

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Feb, 2018 11:48 AM

wiper manufacturing do something different

आम भारतीय में स्वच्छता के प्रति जिम्मेदारी बढ़ी है और वह अपने घरों, कार्यालयों तथा आसपास के क्षेत्रों को

नई दिल्ली : आम भारतीय में स्वच्छता के प्रति जिम्मेदारी बढ़ी है और वह अपने घरों, कार्यालयों तथा आसपास के क्षेत्रों को स्वच्छ एवं निर्मल बनाकर एक बेहतर और स्वस्थ्य वातावरण निर्मित करना चाहता है, जिससे बीमारियों की रोकथाम हो और लंबी आयु जीने का अवसर मिले। कार्यालयों, घरों आदि में फर्श की सफाई के लिए वाइपर और पोछों का इस्तेमाल आम है। होटलों, कॉर्पोरेट सैक्टर, रैजिडैंशियल सोसायटीज आदि में बाकायदा हाऊस कीपिंग डिपार्टमैंट होता है, जिसमें काम करने वाले कर्मचारी संबंधित क्षेत्र की सफाई के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसके लिए उन्हें वाइपर, मोप, स्क्रबर, ब्रश जैसे हाऊस कीपिंग उत्पादों की जरूरत होती है। यही कारण है सफाई से जुड़े इन सभी टूल्स की मार्कीट काफी बढ़ गई है। 

पूंजी की आवश्यकता
वाइपर, क्लीनिंग मॉप या ब्रश जैसे हाऊसकीपिंग प्रोडक्ट्स बनाने का काम छोटे-बड़े दोनों स्तरों पर किया जा सकता है यानी जितना आप उत्पादन करेंगे, पूंजी भी उसी हिसाब से लगेगी। अगर आपने महीने में 5  या 10 हजार वाइपर बनाने का लक्ष्य तय कर रखा है या फिर प्रतिदिन इतनी तादाद में ये प्रोडक्ट्स तैयार करना चाहते हैं तो जाहिर-सी बात है कि इसके लिए अधिक पूंजी की आवश्यकता होगी। उच्च क्षमता की मोल्डिंग मशीन लगानी होगी, जिससे वाइपर, ब्रश मॉप जैसे प्रोड्क्ट तैयार होते हैं। ज्यादा उत्पादन करने की स्थिति में यह भी संभव है कि आपको इस तरह की एक से अधिक मशीनें लगानी पड़ें। इसके अलावा हर प्रोडक्ट के साइज के अनुसार मशीनों में अलग-अलग डाई लगती है, जिसे तैयार करने में काफी खर्च आता है। इस तरह की सिर्फ  एक डाई करीब  से 80 हजार रुपए में बनती है। यही वजह है कि बड़े लेवल पर वाइपर मैन्युफैक्चरिंग की यूनिट लगाने पर4 से  5 करोड़ रुपए की पूंजी लग जाती है। अगर मैन्युफैक्चरिंग का यही काम छोटे लैवल पर करना चाहते हैं, यानी प्रतिदिन का टार्गेट 100 से 200 वाइपर बनाने का है तो फिर करीब 8 से10 लाख रुपए में इस तरह का प्लांट शुरू किया जा सकता है।

प्रशिक्षण एवं जनशक्ति 
इस काम में आप जितना प्रोडक्शन करेंगे, उतने ही लोग चाहिएं। मान लीजिए आप प्रतिदिन 100 से 200 वाइपर बना रहे हैं, तो आपका काम दो हैल्परों से चल जाएगा। साथ में एक मशीन ऑप्रेटर भी चाहिए और इसी अनुपात में आप प्रोडक्शन बढ़ाते चले जाएंगे। इस काम में जो व्यक्ति मशीन चलाता है। उसका प्रशिक्षित होना बेहद जरूरी हैं। बाकी हैल्पर अगर ट्रेंड नहीं भी हैं, तब भी काम चल जाएगा। वैसे जहां से आप मशीनरी खरीदते हैं वे भी कुछ हफ्ते के लिए अपने लोगों के जरिए इसकी बेसिक ट्रेनिंग देते हैं इसलिए ट्रेनिंग की कोई समस्या नहीं है।

अनुभव भी है जरूरी 
अगर आप इस काम से संबंधित मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू कर रहे हैं, तो आपको  पता होना चाहिए कि हाऊस कीपिंग प्रोडक्ट्स कैसे तैयार होते हैं। क्या क्या रॉ-मैटीरियल इसमें इस्तेमाल होता है, कहां से इन्हें मंगाया जाता है इत्यादि, तभी कारोबार को अच्छी तरह से आगे बढ़ा पाएंगे।

औपचारिकताएं 
मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ा काम होने की वजह से इसमें भी स्थानीय प्रशासन से लाइसैंस लेना आवश्यक है। साथ में कंपनी के साइज के अनुसार रजिस्ट्रेशन और ट्रेड लाइसैंस भी लेना होगा। अगर बैंकों से पूजी जुटाकर यह कारोबार शुरू करना चाहते हैं, तो फिर आपका प्लांट किसी इंडस्ट्रियल एरिया में होना बेहद जरूरी है, क्योंकि यदि आप किसी इंडस्ट्रियल एरिया में प्लांट नहीं खोलेंगे तो आपका लोन स्वीकृत नहीं हो पाएगा। वैसे, लघु उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए अभी देश के तमाम बैंकों में इस तरह की योजनाएं संचालित हो रही हैं, इसके लिए उन बैकों से संपर्क कर सकते हैं।   

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