इन देशों में काम करने पर हर घंटे मिलते हैं कम से कम 1000 रुपए

Edited By ,Updated: 26 Apr, 2017 07:30 PM

working in these countries are available at least 1000 rupees per hour

हम में से बहुत सारे लोग एेसे होते है जो विदेश में जाकर अपना करियर बनना...

नई दिल्ली : हम में से बहुत सारे लोग एेसे होते है जो विदेश में जाकर अपना करियर बनना चाहता है। आज कल के युवाओं में विदेश जाकर नौकरी करने का क्रेज काफी बढ़ गया है। कुछ राज्यों में विदेश जाकर बकाम करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि हुई है। अक्सर लोग विदेश में नौकरी तलाशने के अवसर तलाशते रहते हैं। हालांकि मजबूत इकोनॉमी वाले देशों के नियम प्रवासियों के लिए सख्त होते हैं। वहीं उन देशों में अच्छी सैलरी पाना आसान होता है, जहां नियम आसान होते हैं और साथ ही दूसरे देशों की तुलना में सैलरी भी अच्छी मिल जाती है। आज हम आपको बता रहे हैं एसे ही कुछ देशों के बारे में 
 
जानिए क्या है इन देशों की खासियत
इन देशों में सरकार मिनिमम वेज पॉलिसी यानी न्यूनतम मजदूरी की सीमा नहीं रखती है। यहां इंडस्ट्री और सरकार मिलकर तय करती हैं कि कर्मचारियों के लिए कम से कम कितनी सैलरी जरूरी है। इन देशों में इंडस्ट्री द्वारा तय मिनिमम सैलरी दुनिया भर में सबसे ज्यादा मिनिमम वेज देने वाले देशों से भी बेहतर है। इसके साथ ही काम करने के घंटे और कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं में भी ये देश काफी आगे हैं।वहीं विदेशी लोगों के लिए इन देशों के लेबर लॉ भी काफी सपोर्टिव हैं।

स्विट्जरलैंड
स्विट्जरलैंड में न्यूनतम आय का अंदाजा इस बात से लग सकता है कि यहां साल 2014 में 25 डॉलर यानी 1700 रुपए प्रति घंटे के मिनिमम वेज प्रस्ताव को लोगों ने खारिज कर दिया। यहां फिलहाल कोई मिनिमम वेज पॉलिसी नहीं है। ट्रेड यूनियन और कर्मचारी संगठन मिलकर न्यूनतम सैलरी तय करते हैं।पिछले दो साल में न्यूनतम सैलरी को लेकर कोई बदलाव न होने से यह तय है कि देश की जनता हर घंटे 25 डॉलर से कहीं ज्यादा कमा रही है। स्विट्जरलैंड में दो तरह से विदेशियों को जॉब ऑफर होते हैं। यूरोपियन यूनियन और ईएफटीए सदस्य देशों को सीधे जॉब मिल सकती है। वहीं, अन्य देशों के लोगों को पढ़ाई के आधार पर सीमित संख्या में जॉब मार्केट में एंट्री मिलती है। 

स्वीडन
स्वीडन में कोई मिनिमम वेज पॉलिसी नहीं है। यहां पर सेक्टर और इंडस्ट्री खुद मिलकर वर्कर्स की मिनिमम वेज तय करते हैं, जो स्वीडन की औसत आय का 60 से 70 फीसदी के बीच रहता है। अक्टूबर 2016 में यहां की औसत आय 166 स्विडिश क्रोन यानी करीब 1300 रुपए प्रति घंटे के बराबर थी। यानी देश में मिनिमम वेज करीब 900 रुपए प्रति घंटा है। इसके साथ ही सरकार ने यहां हफ्ते में 5 दिन काम के साथ 25 पेड हॉलिडे और 16 पब्लिक हॉलिडे का नियम बनाया है। स्वीडन विदेशियों के लिए सबसे ज्यादा फ्रेंडली देशों में गिना जाता है।

डेनमार्क
डेनमार्क में ट्रेड यूनियन,इंडस्ट्री और सरकार मिलकर मिनिमम वेज तय करते है।यहां सरकार की कोई मिनिमम वेज पॉलिसी नहीं है। फिलहाल ट्रेड यूनियन और सरकार के बीच एग्रीमेंट में 20 डॉलर यानी 1360 रुपए प्रति घंटा की औसत मिनिमम सैलरी तय की गई है। प्रवासी लोगों को लेकर डेनमार्क की पॉलिसी काफी नरम रही है,कुल जनसंख्या में से 8 फीसदी लोग विदेशी हैं। हाल में सरकार ने प्रवासियों की पॉलिसी सख्त की है,हालांकि लाइफस्टाइल के स्तर को देखते हुए ये नियम सख्त नहीं हैं।

आइसलैंड
आइसलैंड को दुनिया के सबसे खुशहाल देश में गिना जाता है। यहां क्राइम रेट काफी कम है वहीं आय ऊंची है। आइसलैंड में काम करने वाले अपने आप ट्रेड यूनियन के सदस्य हो जाते हैं। यूनियन इन कर्मचारियों की तरफ से न्यूनतम सैलरी पर बात करती है। यहां भी सरकार की तरफ से मिनिमम वेज पॉलिसी नहीं है। फिलहाल यहां 2233 डॉलर यानि 1.5 लाख रुपए महीना की मिनिमम सैलरी तय की गई है। काम के सीमित घंटे और सरकार की तरफ से पढ़ाई और हेल्थ को लेकर दी गई छूट अलग है। 

नॉर्वे
नॉर्वे में यूनियन और सरकार के द्वारा तय मिनिमम वेज पर अमल होता है।सरकार की तरफ से मिनिमम वेज पॉलिसी नहीं लाई जाती। फिलहाल नॉर्वे में 16 से 21 डॉलर यानि एक हजार रुपए से 1400 रुपए प्रति घंटे की मिनिमम सैलरी दी जाती है। नॉर्वे भी विदेशियों को लेकर एक समय तक काफी नरम था। हालांकि प्रवासी लोगों की संख्या बढ़ने के साथ नॉर्वे में नियम सख्त बन गए।

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