Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Nov, 2017 02:15 PM
कैंसर कोशिकाएं उस क्षुद्रग्रह के विशेष धातु से नष्ट की जा सकती हैं जिसकी वजह से छह करोड़ 66 लाख साल पहले डायनासोर धरती से विलुप्त हो गये थे। एक नये अध्ययन में यह दावा किया गया है। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि दुनिया के दूसरे सबसे घने धातु इरिडियम का...
लंदन: कैंसर कोशिकाएं उस क्षुद्रग्रह के विशेष धातु से नष्ट की जा सकती हैं जिसकी वजह से छह करोड़ 66 लाख साल पहले डायनासोर धरती से विलुप्त हो गये थे। एक नये अध्ययन में यह दावा किया गया है। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि दुनिया के दूसरे सबसे घने धातु इरिडियम का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में किया जा सकता है। इसके तहत स्वस्थ उत्तकों को कोई नुकसान पहुंचाए बिना इरिडियम को ऑक्सीजन के एक विशेष संस्करण में मिला कर कोशिकाओं में भर दिया जाता है।
ब्रिटेन के वारविक विश्वविद्यालय के पिंग्यू झांग ने कहा कि कैंसर से निपटने की हमारी नवोन्मेषी पहल में अहम कोशकीय प्रोटीनों को निशाने पर लेना है और इससे ऐसी आदर्श दवाएं अस्तित्व में आ सकती है जिसकी बिल्कुल नयी कार्यप्रणाली हो। अनुसंधानकर्ताओं ने इरिडियम और ऑर्गेनिक सामग्री का एक यौगिक तैयार किया जो सीधे कैंसरकारी कोशिकाओं को निशाना बना सकती है। इसके तहत ऊर्जा कोशिकाओं के अंदर ऑक्सीजन तक पहुंचायी जाती है फलस्वरुप ऑक्सीजन से ऑक्सीजन एकलमें बदल जाता है जो जहरीला होता है और कोशिका को खत्म कर देता है। पूरी प्रक्रिया में स्वस्थ उत्तक अप्रभावित रहता है। यह प्रक्रिया त्वचा से लेजर प्रकाश को कैंसर प्रभावित क्षेत्र तक पहुंचाकर शुरु होती है। यह प्रकाश यौगिक के प्रकाश सक्रिय आवरण तक पहुंचती है और धातु को कैंसर में एकल ऑक्सीजन भरने के लिए सक्रिय कर देती है।