Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Aug, 2017 07:03 PM
कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से हजारों लोगों की जानें जाती हैं। अनुभवों का कहना था कि इस बीमारी का पता अगर समय से पहले लगा लिया जाए तो इसके शुरूआती चरण में इलाज करने पर रोगी को बचाया जा सकता है। इसी बात पर ध्यान देते हुए शोधकर्ताओं ने एक ऐसा तरीका...
जालंधर : कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से हजारों लोगों की जानें जाती हैं। अनुभवों का कहना था कि इस बीमारी का पता अगर समय से पहले लगा लिया जाए तो इसके शुरूआती चरण में इलाज करने पर रोगी को बचाया जा सकता है। इसी बात पर ध्यान देते हुए शोधकर्ताओं ने एक ऐसा तरीका विकसित कर लिया है जो कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का खून से ही पता लगाने में मदद करेगा। जिससे समय रहते कैंसर का इलाज करवाना सम्भव होगा। वाशिंगटन डी.सी. में जॉन्स हॉपकिंस किमैल कैंसर सैंटर के शोधकर्ताओं ने इस बात की पुष्टि की है कि उन्होंने ब्लड सैम्पल से कैंसर की शुरूआती स्टेज का पता लगाने में सफलता हासिल की है।
रिसर्च के लिए बनाई गई खास टीम
जॉन्स हॉपकिंस किमैल कैंसर सैंटर के प्रोफैसर विक्टर वेलक्लेस्कु ने कहा है कि उनके सामने किसी व्यक्ति के ट्यूमर में मौजूद अनुवंशिक उत्परिवर्तन को जाने बिना सिर्फ खून से ही कैंसर का पता लगाना उनके लिए एक बहुत बड़ी चुनौती था। इस रिसर्च के लिए एक खास टीम बनाई गई जिसने खून में से ही कैंसर बनाने वाले 58 जीन्स का पता लगाने की कोशिश की। इसके बाद उन्होंने ब्रैस्ट, लांग और कोलोरैक्टल कैंसर से पीड़ित 200 मरीजों के ब्लड सैम्पल्स का टैस्ट किया।
शरीर में 62 प्रतिशत तक कैंसर का लगाया जा सकता है पता
टीम ने बताया कि टारगेट एरर सीक्वैंसिंग तकनीक से उन्होंने टार्गेट की हुई जीन्स में हो रहे बदलाव की पहचान की है। इस तरीके से रोगी के शरीर से 62 प्रतिशत तक कैंसर का पता लगाया जा सकता है जिससे पहली और दूसरी स्टेज में मरीज का समय रहते इलाज करना सम्भव है।
35 मरीजों में लगाया गया कैंसर का पता
रिसर्च के दौरान देखा गया है कि कोलोरैक्टल कैंसर का पता लगाने में भी यह नया तरीका काफी असरदार है। इस तरीके से कैंसर का इलाज करवा रहे 42 में से 35 लोगों में कैंसर का पता लगाया गया है। इस तरीके को 44 बिल्कुल सही यानी हैल्दी लोगों पर भी टैस्ट किया गया। शोधकर्ताओं ने कहा कि आने वाले समय में इस तरीके को बड़ी संख्या में लोगों पर परफार्म किया जाएगा जिसके बाद यह कहा जा सकेगा कि यह तकनीक समय रहते कैंसर का पता लगाने के लिए कारगर है।