अमरीका के कुछ विवादित चुनावों पर एक नज़र

Edited By ,Updated: 08 Nov, 2016 01:01 PM

a look at some of the us  controversial elections

अमरीकी राष्ट्रपति पद के चुनावों और विवादों का उतना ही पुराना नाता है, जितना स्वतंत्र अमरीका का इतिहास।  इसलिए अगर इस बार के चुनावी नतीजों को लेकर विवाद होता है तो ये पहली बार नहीं होगा...

वॉशिंगटन: अमरीकी राष्ट्रपति पद के चुनावों और विवादों का उतना ही पुराना नाता है, जितना स्वतंत्र अमरीका का इतिहास।  इसलिए अगर इस बार के चुनावी नतीजों को लेकर विवाद होता है तो ये पहली बार नहीं होगा। अमरीकी पत्रकार फ्रेड लूकस ने अपनी  नई किताब में लिखा है कि इस बार चुनावी मुहिम के दौरान देश और समाज जितना विभाजित नज़र आ रहा है, वैसा पहले भी कई बार हो चुका है।
भारतीय मूल की अमरीकी पत्रकार ज्योति रौतेला के अनुसार अगर इस बार के चुनावी नतीजे को चुनौती दी जाती है, तो इंटरनेट युग का ये पहला विवादित चुनाव होगा। उनके मुताबिक़, "लेकिन इतिहास की बात करें तो विवाद से घिरे और भी कई चुनाव रहे हैं। "
 

कुछ विवादित चुनावों पर एक नज़र


2000 का चुनाव: अल गोर बनाम जॉर्ज बुश
 इस चुनाव में आम जनता का वोट (पॉपुलर वोट) डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार अल गोर को अधिक मिला, लेकिन विजयी घोषित हुए रिपब्लिकन पार्टी के जॉर्ज बुश। अल गोर को 5च लाख अधिक वोट मिले थे  लेकिन अमरीकी चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज में बढ़त हासिल करने वाला उम्मीदवार राष्ट्रपति चुना जाता है और इसमें बाज़ी मार ले गए जॉर्ज बुश। 

1948 का चुनाव: हैरी ट्रुमैन बनाम थॉमस डेवी
चुनाव वाली रात राष्ट्रपति हैरी ट्रुमैन मायूस हो कर सोने चले गए. वो हार मान चुके थे। रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार थॉमस डेवी उनसे एग्जिट पोल में पांच प्रतिशत की बढ़त बनाए हुए थे । उनकी जीत पक्की मानी जा रही थी। शिकागो डेली ट्रिब्यून नाम के अख़बार ने ट्रुमैन की हार की सुर्खियों के साथ अख़बार बेचना भी शुरू कर दिया था, लेकिन राष्ट्रपति ट्रूमैन की जीत हुई। उन्हें सुबह चार बजे अमरीकी ख़ुफ़िया सर्विस के अधिकारियों ने जगाकर जीत की ख़ुशख़बरी दी। उनकी वो तस्वीर अमर हो गई, जिसमें शिकागो ट्रिब्यून अख़बार को हाथों में लेकर वो मुस्कुराते हुए देखे जा सकते हैं। इस अख़बार में उनके हारने की ख़बर पहले पन्ने पर छपी थी। थॉमस डेवी ने नतीजा स्वीकार करने में कुछ देर लगाई, लेकिन इसे अदालत में चुनौती नहीं दी।

1876 का चुनाव: सैमुअल टिल्डेन बनाम रदरफोर्ड हेस
इस चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार सैमुअल टिल्डेन चुनाव जीत के भी हार गए. उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी के अपने प्रतिद्वंदी रदरफोर्ड हेस से पॉपुलर वोट और इलेक्टोरल कॉलेज, दोनों में बढ़त बनाई लेकिन इलेक्टोरल कॉलेज में ज़रूरी 185 वोट हासिल न कर सके.
दोनों खेमों ने एक-दूसरे के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार और चुनावी फ़र्ज़ीवाड़े के इल्ज़ाम लगाए. बाद में दोनों पक्षों में एक समझौता हुआ, जिसके मुताबिक़ रदरफोर्ड हेस राष्ट्रपति घोषित हुए. विशेषज्ञ कहते हैं ये इलेक्शन नहीं, सेलेक्शन था ।

1800 का चुनाव: थॉमस जेफ़रसन बनाम जॉन एडम्स
 ये अमरीकी राष्ट्रपति पद का चौथा चुनाव था। अब तक का ऐसा अकेला चुनाव, जिसमें उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रपति को शिकस्त दी। इस चुनाव में कामयाब रहे उपराष्ट्रपति थॉमस जेफ़रसन, जिन्होंने राष्ट्रपति जॉन एडम्स को शिकस्त दी, लेकिन फ़ैसला आसानी से नहीं हुआ था। 
उस समय इलेक्टोरल कॉलेज के अंतर्गत राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति, दोनों को वोट दिए जाते थे। जिसे अधिक वोट मिलते, वो राष्ट्रपति चुना जाता. उस समय टू पार्टी सिस्टम सामने आ ही रहा था।  डेमोक्रेटिक-रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से थॉमस जेफरसन राष्ट्रपति के उम्मीदवार बने, जबकि उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार आरोन बर्र बने।  

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