Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Dec, 2017 06:20 PM
यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता दिए जाने संबंधी अमरीका के निर्णय से मुस्लिम देशों में फैले आक्रोश के बीच सबकी निगाहें अब 13 दिसंबर को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए इस्तांबुल में होने वाली इस्लामिक राष्ट्र संगठन(ओआईसी) की बैठक पर लगी है।
इंटरनेशनल डेस्क : यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता दिए जाने संबंधी अमरीका के निर्णय से मुस्लिम देशों में फैले आक्रोश के बीच सबकी निगाहें अब 13 दिसंबर को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए इस्तांबुल में होने वाली इस्लामिक राष्ट्र संगठन(ओआईसी) की बैठक पर लगी है।
अरब लीग ने मिस्र की राजधानी काहिरा में शनिवार रात एक आपात बैठक बुलाई। बैठक में अमरीका से इस निर्णय को यह कहते हुए वापस लिए जाने की मांग की कि इससे और आक्रोश भड़केगा, जो हिंसक रूप अख्तियार ले सकती है तथा क्षेत्र में अराजकता की स्थिति का भी कारण बनेगा।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की शनिवार को हुई बैठक में भी अमरीका के इस कदम की निंदा की गई। अमरीकी राष्ट्रपति के निर्णय की पोप और उनके यूरोपीय सहयोगियों ने भी आलोचना की है। बहुत से मुस्लिम देशों ने तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि अमरीका द्वारा यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के फैसले से इजरायल और फलीस्तीन के बीच शांति के पैराकारों के बीच विश्वसनीयता समाप्त हो गई है।
संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के मुताबिक यरूशलम इजरायल और फलीस्तीन के बीच बंटा है। विश्व संघ ने 1967 युद्ध में इजरायल द्वारा यरूशलम पर कब्ज़े के बाद से कई प्रस्ताव पारित कर इस क्षेत्र को खाली करने के लिए यहूदी राष्ट्र से आह्वान किया है। ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली और स्वीडन जैसे यूरोपीय देशों ने अमरीका के इस कदम का विरोध किया है।
बहरहाल अमरीकी राजनयिक निक्की हैली ने ट्रम्प के फैसले को न्ययोचित बताते हुए कहा है कि उनका देश इजरायल-फलीस्तीन के मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है और यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता को लेकर अपना रुख नहीं बदल सकता।