Edited By ,Updated: 25 Feb, 2017 12:15 PM
बलुचिस्तान की आजादी की मांग करने वाले महत्वपूर्ण नेताओं में से एक का कहना है कि इस काम में मदद के लिए वह भारत जैसे मित्र राष्ट्रों से संपर्क करेंगे
लंदन/बलुचिस्तानः बलुचिस्तान की आजादी की मांग करने वाले महत्वपूर्ण नेताओं में से एक का कहना है कि इस काम में मदद के लिए वह भारत जैसे मित्र राष्ट्रों से संपर्क करेंगे। औपचारिक रूप से ‘हिज हाईनैस द खान ऑफ कलत’ के रूप में जाने जाने वाले अमीर अहमद सुलेमान दाउद ने पिछले वर्ष लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण में बलुचिस्तान का मसला आने का स्वागत किया।
लंदन में 23 फरवरी को मीडिया से बातचीत के दौरान दाउद ने कहा, ‘भारत क्षेत्रीय शक्तियों में से एक है, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। प्रधानमंत्री (मोदी) की बात लंबे समय में पड़ोसियों से आने वाली पहली सकारात्मक आवाज है और हम इस हस्तक्षेप का स्वागत करते हैं। हमें पता है कि हमारे पास दोस्त है।’
मोदी के भाषण में बलुचिस्तान की जनता का जिक्र आने की पाकिस्तान ने आलोचना की थी। मोदी के संबोधन में इस जिक्र को बलुचिस्तान की आजादी की लड़ाई में अप्रत्यक्ष समर्थन के तौर पर देखा जा रहा है।
क्षेत्रीय नीति में महत्वपूर्ण बदलाव के संकेत देते हुए, मोदी ने कहा था, ‘पिछले कुछ दिनों में, बलुचिस्तान, गिलगित, पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर के लोगों ने मुझे धन्यवाद दिया है, कृतज्ञता जतायी है और मुझे शुभकामनाएं दी हैं।’ दाउद पिछले कुछ वर्षों से ब्रिटेन के वेल्स में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
बलूच नेता ने कहा- पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में ‘हत्या करो, और फेंको’ की नीति अपनाई हुई है। बलूचिस्तान में लोगों पर हो रहे अत्याचारों को 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तान सेना द्वारा किए गए बंगालियों के नरसंहार के बराबर बताते हुए स्व-निर्वासित बलूच नेता ने मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठाने तथा अशांत क्षेत्र को ‘पाकिस्तानी कब्जे’ से मुक्त कराने के लिए बांग्लादेश से मदद मांगी है।