ब्रिटेन: कढ़ी के खिलाफ जंग लड़ रहे मकान मालिक को मिली हार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Nov, 2017 12:58 PM

british landlord against indian food

ब्रिटेन की एक अदालत ने एक बड़ा फैसला दिया है, जिसमें भारत और पाकिस्तान के ‘‘अश्वेत’’ लोगों को अपनी संपत्तियां किराये पर देने पर एक ब्रिटिश मकान मालिक के प्रतिबंध को गैरकानूनी ठहराया है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस ब्रिटिश मकान मालिक ने भारत और...

लंदन:  ब्रिटेन की एक अदालत ने एक बड़ा फैसला दिया है, जिसमें भारत और पाकिस्तान के ‘‘अश्वेत’’ लोगों को अपनी संपत्तियां किराये पर देने पर एक ब्रिटिश मकान मालिक के प्रतिबंध को गैरकानूनी ठहराया है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस ब्रिटिश मकान मालिक ने भारत और पाकिस्तान के लोगों को मकान देने पर यह रोक इसलिए लगाई थी क्योंकि ये किराएदार कढ़ी पकाते हैं और इसकी महक फैलती है। 

उल्लेखनीय है कि दक्षिण-पूर्व इंग्लैंड के केंट में फर्गेस विल्सन की सैंकड़ों संपत्तियां है। विल्सन ने हालांकि इसे नस्लभेदी होने से इनकार किया था लेकिन मेडस्टोन काउंटी की अदालत ने इस सप्ताह उसकी इस नीति के खिलाफ आदेश दिया जिससे वह यह कानूनी लड़ाई हार गया। कोर्ट के इस आदेश में कहा गया है कि विल्सन भारतीय या पाकिस्तानी लोगों को अपनी संपत्तियां किराए पर देने से रोकने के लिए इस तरह की किराया नीति लागू नहीं कर सकता है।  

अदालत ने कहा कि यदि आदेश का उल्लंघन किया गया और उसे अदालत की अवमानना करते हुए पाया तो उसे जेल हो सकती है या भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। जज रिचर्ड पोल्डेन ने अपने आदेश में कहा कि मैंने यह नीति गैरकानूनी पाई है। इस तरह की नीति का हमारे समाज में कोई स्थान नहीं है। 69 वर्षीय मकान मालिक और पूर्व बॉक्सर ने समानता और मानवाधिकार आयोग (ईएचआरसी) के खिलाफ अदालत में खुद का बचाव किया। समानता और मानवाधिकार ने इस नीति को चुनौती दी थी और इसे गलत बतया था। ईएचआरसी के इस फैसले को मकान मालिक ने कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया। हालांकि, उसे यहां भी हार का समाना करना पड़ा। अदालत के इस फैसले के बाद अब भारत-पाकिस्तान के लोगों को कढ़ी पकाने के आधार पर किसी मकान में रहने से मना नहीं किया जाएगा।

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