Edited By ,Updated: 03 Dec, 2016 04:11 PM
अमरीका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ताइवान की राष्ट्रपति त्से इंग-वेन के बीच फोन पर हुई वार्ता को चीन ‘‘ताइवान का छल भरा कदम’’ बताकर आज...
बीजिंग:अमरीका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ताइवान की राष्ट्रपति त्से इंग-वेन के बीच फोन पर हुई वार्ता को चीन ‘‘ताइवान का छल भरा कदम’’ बताकर आज खारिज कर दिया और कहा कि इससे ‘एक-चीन’ नीति नहीं बदलेगी और ना ही चीन-अमरीका संबंध खराब होंंगे।हांगकांग के टीवी चैनल ‘फिनिक्स चैनल’ की एक रिपोर्ट के अनुसार,चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा,‘‘मुझे नहीं लगता कि इससे एक-चीन नीति में कोई परिवर्तन आएगा,जिसपर अमरीका सरकार वर्षों से चल रही है।’’
ट्रंप और त्से की बातचीत केे बाद वांग ने कहा,‘‘एक-चीन नीति,चीन अमरीकी संबंधों में स्वस्थ विकास की आधारशिला है और हम आशा करते हैं कि इस राजनीतिक नींव के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होगी या इसे क्षतिग्र्रस्त नहींं किया जाएगा।’’ट्रंप ने त्सई से बात कर ताइवान नेता से सीधे बातचीत नहीं करने की अमरीका की दशकोंं पुरानी कूटनीतिक परंपरा तोड़ी है।ट्रंप का फोन कॉल चीन के लिए हैरान कर देने वाला था,लेेकिन बीजिंग की आेर से इस पर कोई कड़ी प्रतिक्र्रिया आने की अटकलोंं पर विराम लगाते हुए वांग ने तुरंत अपनी टिप्पणी की है।चीन फिलहाल ट्रंप के राष्ट्रपति बनने केे बाद उनकेे साथ बेहतर संबंध स्थापित करना चाहता है।दुनिया के ज्यादातर देशोंं की भांति अमरीका भी 1979 से तथा-कथित ‘‘एक-चीन’’ नीति का पालन कर रहा है। अमरीका ने 1979 में चीनी जन गणराज्य को औपचारिक रूप से कूटनीतिक मान्यता दी थी।