भारत की ये परियोजना चीन को नागवार, दे डाली नसीहत

Edited By ,Updated: 29 Mar, 2017 11:45 AM

china given  advice to india about bullet train project

बुलेट ट्रेन परियोजना में भारत की ओर से जापान की मदद लेना चीन को नागवार गुजर रही है...

बीजिंग : बुलेट ट्रेन परियोजना में भारत की ओर से जापान की मदद लेना चीन को नागवार गुजर रही है। चीन की सरकारी मीडिया ने चेतावनी भरे लहजे में भारत को नसीहत देते हुए कहा है कि बुलेट ट्रेन परियोजना से चीन को अलग रखना भारत के लिए हितकारी नहीं होगा। भारत ने बेशक पहली बुलेट ट्रेन परियोजना जापान को दी है, लेकिन रेलवे नैटवर्क के पुनर्गठन या देश की आगामी द्रुत गति की रेल परियोजनाओं के लिए उसे चीन की ओर ध्यान देना चाहिए।

चीन के  सरकारी ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि चीन के प्रति भारत सतर्क रहा है और उसने पहली द्रुत गति की रेलवे परियोजना के लिए जापान को भागीदार के रूप में चुना है। यह परियोजना 2018 से शुरू होने की उम्मीद है। इसमें कहा गया है कि इसका मतलब यह नहीं है कि चीन को अन्य बुलेट ट्रेन परियोजनाओं से अलग रखना भारत के हित में है। वास्तव में भारत को चीन की जरूरत चीन को भारत की जरूरत से अधिक है। संपादकीय के मुताबिक, दुनिया के चौथे सबसे बड़े रेल नैटवर्क कहे जाने वाले भारतीय रेलवे को खासतौर पर सप्लाइ की समस्या से जूझना पड़ रहा है।

भारत के रेलवे के इंजीनियर चीन में भी ट्रेनिंग ले रहे हैं ऐसे में चीन बारत को इस क्षेत्र में सहायता दे सकता है। स्टील रेल विनिर्माण और ट्रेन प्रौद्योगिकी में भारत को चीन की जरूरत है। मुंबई-अहमदाबाद का 508 किलोमीटर का द्रुत गति का ट्रेन गलियारा देश में पहली बुलेट ट्रेन परियोजना है। यह 2023 के अंत तक परिचालन में आने की उम्मीद है। इससे 2 प्रमुख महानगरों के बीच यात्रा का समय मौजूदा के 9 घंटे से कम होकर 3 घंटे रह जाएगा। इस परियोजना में 97, 636 करोड़ रुपए का खर्च आने की संभावना है। जापान पूरी लागत का 81 फीसदी फंडिंग कम ब्याज दर पर भारत को उपलब्ध करा रहा है।

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