चीन को सता रहा है 'सोवियत संघ' जैसे पतन का डर, बैठक में होगा चिंतन-मनन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Oct, 2017 12:02 AM

chinese persecution fear of collapse like the soviet union

18 अक्टूबर से होने वाली चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की 19वीं राष्ट्रीय कांग्रेस में हिस्सा लेने के लिए प्रतिनिधियों का चुनाव किया गया है।

बीजिंग: पांच साल में एक बार होने वाली कांग्रेस की महत्वपूर्ण बैठक की तैयारी कर रही चीन की सत्तारूढ़ कॉम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) सोवियत संघ के पतन पर चिंतन मनन कर रही है ताकि उसकी जैसी नियति से बच सके। 18 अक्तूबर से कांग्रेस का आयोजन किया जाएगा जिसमें पार्टी, सेना का नेतृत्व कर रहे देश के सर्वोच्च नेता शी जिनपिंग के लिए राष्ट्रपति पद के दूसरे कार्यकाल की पुष्टि होने की उम्मीद है।

96 साल पुरानी पार्टी की 19वीं कांग्रेस में सीपीसी के कामकाज में आमूलचूल सुधार के साथ एक नया संविधान तैयार किए जाने की भी उम्मीद है। ऐसा राष्ट्रपति शी द्वारा शुरू किए गए पांच साल के व्यापक भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के बाद हो रहा है जिसमें हजारों अधिकारियों को हटा दिया गया। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स की खबर के अनुसार बोल्शेविक के नेतृत्व में हुई अक्तूबर क्रांति की 100वीं वर्षगांठ ने सीपीसी को 1991 में हुए सोवियत संघ के पतन पर चिंतन मनन करने को प्रेरित किया है और उसके इसके कारणों का अध्ययन करने के लिए अपने पदाधिकारियों को रूस के दौरे पर भेजने में तेजी आयी है।

1917 में हुई अक्तूबर क्रांति ने दुनिया भर में काम्युनिस्ट आंदोलनों एवं लोगों को प्रेरित किया था जिनमें चीन के नेता माओत्से तुंग शामिल थे। माओत्से तुंग ने सीपीसी की स्थापना की थी जो एक रक्तरंजित क्रांति के बाद 1949 में सत्ता में आयी थी। चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने अगले महीने होने वाली पार्टी कांग्रेस के लिये 2,287 प्रतिनिधियों का चुनाव किया है। इस बात की काफी उम्मीद है कि इस कांग्रेस द्वारा राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दूसरे पंचवर्षीय कार्यकाल के लिये मंजूरी दे दी जायेगी।

शी इस दौरान नए अधिकारियों का भी चयन करेंगे। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में शुक्रवार (29 सितंबर) को कहा गया कि यहां 18 अक्टूबर से होने वाली चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की 19वीं राष्ट्रीय कांग्रेस में हिस्सा लेने के लिए प्रतिनिधियों का चुनाव किया गया है। 

इस बैठक के साथ खासा महत्व जुड़ा हुआ है क्योंकि अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान शी सबसे शक्तिशाली नेता बनकर उभरे जो न सिर्फ पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं, बल्कि राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी निभा रहे हैं और सर्वोच्च सैन्य कमांडर भी हैं। चीन के सत्ता केंद्रों पर अपनी मजबूत पकड़ की वजह से शी का इस पद पर दोबारा चुना जाना लगभग तय है।

 

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