पूरा सीरिया वापस लेने में चरमपंथियों के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे: असद

Edited By ,Updated: 13 Feb, 2016 12:08 PM

complete withdrawal of syria will continue to fight against the extremists assad

विश्व की प्रमुख शक्तियों के बीच सीरिया में लड़ाई बंद कराने और आतंकवादियों के कब्जे वाले इलाकों में मानवीय सहायता मुहैया कराने की एक योजना पर समझौता ...

म्यूनिख:विश्व की प्रमुख शक्तियों के बीच सीरिया में लड़ाई बंद कराने और आतंकवादियों के कब्जे वाले इलाकों में मानवीय सहायता मुहैया कराने की एक योजना पर समझौता हो जाने के बावजूद राष्ट्रपति बशर अल असद ने कहा है कि वह चरमपंथियों के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंंगे और पूरे देश को आतंकवादियों के कब्जे से मुक्त कराकर रहेंगे ।

सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद ने कहा है कि उनकी मंशा विद्रोही फौजों से पूरे देश को फिर से हासिल करने की है और विद्रोहियों को हराने में कुछ समय लग सकता है लेकिन उनके खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी । देश के अंदर कुछ राष्ट्र विरोधी ताकत है जिस वजह से चरमपंथियों को हराने में समय लग रहा है लेकिन उनका यह संघर्ष जारी रहेगा। राष्ट्रपति असद ने एक समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में शांति वार्ता पर अपनी सहमति तो व्यक्त की लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि बातचीत का यह मतलब नहीं होना चाहिए चरमपंथियों के खिलाफ जो लड़ाई शुरु की है उसे रोक देंगे।

इस मामले में असद को रूस का भी साथ मिल रहा है। रूस के विदेश मंत्री सर्जेई लावरोव ने कहा कि रूस, सीरिया में हवाई हमले जारी रखेगा । आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) और अल कायदा से जुड़े अल नुसरा के लिए युद्ध विराम नहीं है । आईएस ने सीरिया और इराक में बड़े हिस्से पर कब्जा कर रखा है । उन्होंने कहा, ‘‘रूसी सेना इन आतंकवादी संगठनों के खिलाफ हवाई हमले करना जारी रखेगी ।’’

हालांकि पश्चिम के कुछ देशों का कहना है कि जब तक रूस सीरिया में लड़ाई बंद नहीं करता तब तक समझौते का कोई मतलब नहीं है। अमरीका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने कहा कि बिना राजनीतिक परिवर्तन के शांति स्थापित करना मुश्किल है । सीरिया में चल रही लड़ाई में कऱीब ढाई लाख लोग मारे गए हैं और 1.1 करोड़ लोग विस्थापित हुए हैं । संघर्ष के कारण देश के कुछ शहरों में पिछले एक साल से मानवीय मदद नहीं पहुंच सकी है।

असद ने कहा,‘‘ उनकी फ़ौजें देश के सभी क्षेत्रों पर क़ब्जा करेंगी। कुछ इलाक़ाई ताक़तें भी मौजूद हैं, जिसका मतलब यह है कि इसमें समय लगेगा और बहुत नुक़सान होगा। हम इस संकट की शुरुआत से ही बातचीत और राजनीतिक हल निकालने में यक़ीन रखते आ रहे हैं। लेकिन हमें यह अंदेशा है कि सऊदी अरब और तुर्की सीरिया में सैन्य हस्तक्षेप करेंगे। इन दोनों देशों की सेना सीरिया में विद्रोहियों की मदद कर रहे हैं।’’  

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