जाधव मामले में अपनाए गए तौर-तरीकों पर पाक सरकार आलोचनाओं के घेरे में

Edited By ,Updated: 19 May, 2017 05:11 PM

criticisms of pakistani government on the methods adopted in jadhav case

भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले को अंतर्राष्ट्रीय न्याय अदालत(आईसीजे) में निपटाने के तरीकों पर आज पाकिस्तान सरकार को आलोचनाओं का सामना करना....

इस्लामाबाद: भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले को अंतर्राष्ट्रीय न्याय अदालत(आईसीजे) में निपटाने के तरीकों पर आज पाकिस्तान सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा और अनेक कानूनी विशेषज्ञों ने पाकिस्तानी रणनीति पर सवालिया निशान खड़े किए और अदालत के न्यायाधिकार स्वीकार करने पर सवाल किए। 

आईसीजे ने कल 46 वर्षीय जाधव की सजाए मौत पर स्थगन लगाने का आदेश दिया है । इस आदेश के बाद मामले का ‘‘खराब ढंग से निपटाने’’ को ले कर पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की आलोचनाओं का सिलसिला शुरू हो गया। इस क्रम में आईसीजे में पाकिस्तान का पक्ष पेश करने वाले खावर कुरैशी के चयन पर भी नाराजगी जताई गई।  

पाकिस्तान बार काउंसिल के पूर्व उपाध्यक्ष फरोग नसीम के अनुसार पाकिस्तान को तत्काल 29 मार्च 2017 की अपना अधिघोषणा वापस ले लेनी चाहिए जिसमें उसने आईसीजे का अनिवार्य न्यायाधिकार स्वीकार किया है। नसीम ने कहा कि जैसे ही भारत जाधव का मामला आईसीजे में ले गया पाकिस्तान को अपनी अधिघोषणा वापस ले लेनी चाहिए थी। उन्होंने कहा,‘‘पाकिस्तान इस हकीकत के बावजूद अदालत के समक्ष कश्मीर में मानवाधिकार के सुस्पष्ट और निर्दय उल्लंघन का मामला क्यों नहीं ले गया कि इस मामले में उसका पक्ष मजबूत था।’’ अंतर्राष्ट्रीय कानून के विशेषज्ञ पूर्व अतिरिक्त अटार्नी जनरल तारिक खोखर ने अफसोस जताया कि पाकिस्तान ने अधिसूचना के मार्फत आईसीजे का न्यायाधिकार स्वीकार किया है । उन्होंने कहा कि जैसे ही पाकिस्तान को पता चला कि भारत उसके खिलाफ आईसीजे का न्यायाधिकार लागू करेगा, उसे उससे हट जाना चाहिए। 

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