अमेरिकी में वीजा नीतियों में बदलाव से भारतीय स्टूडेंट के एडमिशन में हुई गिरावट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Mar, 2018 09:52 PM

donald trump  visa indian student america

अमेरिका में कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग प्रोग्राम में स्नातक स्तर पर एडमिशन लेने वाले भारतीयों छात्रों में साल 2016 से 2017 के बीच 21 प्रतिशत की कमी आई है। अमेरिकी नीति के राष्ट्रीय फाउंडेशन (एनएफएपी) की रिपोर्ट के अनुसार यूएस डिपार्टमेंट ऑफ...

नेशनल डेस्क: अमेरिका में कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग प्रोग्राम में स्नातक स्तर पर एडमिशन लेने वाले भारतीयों छात्रों में साल 2016 से 2017 के बीच 21 प्रतिशत की कमी आई है। अमेरिकी नीति के राष्ट्रीय फाउंडेशन (एनएफएपी) की रिपोर्ट के अनुसार यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों के आधार पर बनाया गया है उससे इस गिरावट का पता चला है। एनएफएपी की रिपोर्ट के अनुसार वर्जिनिया की गैर लाभ संस्थान, गैर-पक्षपातपूर्ण सार्वजनिक नीति शोध संगठन ने इशारा किया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की प्रतिबंधात्मक वीजा नीति और कार्य नीति की वजह से छात्र अमेरिका में पढ़ने के लिए नहीं आ रहे हैं। इन छात्रों का अमेरिका की अर्थव्यवस्था में काफी योगदान होता है। रिपोर्ट का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले की वजह से नकदी की गंभीर कमी हो गई है। इस वजह से भी भारतीय छात्रों की संख्या में कमी आई है। मगर यह मुख्य कारण नहीं हो सकता है क्योंकि कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग प्रोग्राम में अंडर-ग्रैजुएशन (स्नातक पूर्व) के लिए अमेरिका आने वाले छात्रों की संख्या में 740 की बढ़ोत्तरी हुई है।
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प्रतिबंधात्मक वीजा नीति बनी कारण
एनएफएपी की रिपोर्ट के अनुसार- विदेश मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि साल 2017 में 206,708 भारतीय छात्र अमेरिका में पढ़ रहे हैं। अमेरिका की खबरों और दूसरी सूचनाओं के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को पढ़ाई पूरी करने के बाद अमेरिका में नौकरी पाने की क्षमता को सीमित कर दिया गया है। ग्रैजुएशन के बाद अमेरिका की नीतियां छात्रों के लिए देश में काम करने के लिए काफी मुश्किल नीतियां बनाती है। जिसकी वजह से अब छात्र अमेरिका का पढ़ाई के लिए चयन कम कर रहे हैं। एनएफएपी ने कहा कि अमेरिकी विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या 2016 और 2017 के बीच लगभग 4% की गिरावट आई है। इनमें आधे से अधिक ऐसे भारतीय स्टूडेंट हैं जिन्होंने स्नातक स्तर पर कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग में एडमिशन नहीं लिया।

भारत व चीन की अधिक हिस्सेदारी
‘ओपन डोर्स 2016’ नामक एक अन्य रिपोर्ट का पूरा ब्यौरा किया गया है। उसमें बताया गया है कि अमेरिका के इन उच्च शैक्षणिक संस्थानों ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों की ओर से आने वाले आवेदनों में औसतन 40 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है। रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय स्टूडेंट्स रजिस्ट्रेशन में भारत और चीन के छात्रों की हिस्सेदारी 47 प्रतिशत की है। अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीय और चीनी छात्रों की संख्या लगभग पांच लाख है। सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, अंडरग्रेजुएट कोर्स में प्रवेश के लिए चीनी छात्रों की ओर से आने वाले आवेदनों में 25 प्रतिशत और ग्रेजुएट कोर्स में प्रवेश के लिए आने वाले आवेदनों में 32 प्रतिशत की गिरावट आई है।

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