Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Jul, 2017 04:21 PM
अमरीका के ट्रंप प्रशासन ने मुस्लिम बहुल 6 देशों से आने वाले यात्रियों के अमरीका में प्रवेश ...
वाशिंगटन: अमरीका के ट्रंप प्रशासन ने मुस्लिम बहुल 6 देशों से आने वाले यात्रियों के अमरीका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने वाले फैसले को कमजोर करने वाले संघीय न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। संघीय न्यायाधीश ने अपने फैसले में अमरीकी नागरिकों के परिवारों के संबंधियों की उस सूची में विस्तार किया है, जिसका वीजा प्रार्थी अमरीका आने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
न्याय मंत्रालय ने कल शाम सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके हवाई के संघीय न्यायाधीश के इस सप्ताह सुनाए उस फैसले को बदलने का अनुरोध किया, जिसमें यात्रा प्रतिबंध से प्रभावित लोगों की संख्या सीमित करने की बात की गई है। सुप्रीम कोर्ट में अभी ग्रीष्मकालीन अवकाश है लेकिन वह आपातकालीन मामलों की सुनवाई कर सकता है। अमरीका जिला न्यायाधीश डेरिक वाट्सन ने इस सप्ताह आदेश दिया था कि ट्रंप प्रशासन अमरीका में रह रहे लोगों के दादा-दादी, नाना-नानी, नाती-नातिन, पोता-पोती, बहनोई, साला, जेठ, देवर, ननद, देवरानी, जेठानी, भाभी, चाचा-चाची, मामा-मामी, भांजा-भांजी, भतीजा-भतीजी आदि और रिश्ते के भाई बहनों पर यह प्रतिबंध नहीं लगाए। वाटसन ने अपने आदेश में कहा, उदाहरणार्थ यह समझने वाली बात है कि निकट संबंधियों में दादा-दादी, नाना-नानी भी शामिल होते हैं।
कोर्ट ने यह भी फैसला सुनाया था कि सरकार उन शरणार्थियों को बाहर नहीं कर सकती जिन्हें अमरीका में पुनर्वास एजेंसी से औपचारिक आश्वासन मिला है। अटार्नी जनरल जेफ सेशंस ने हवाई की अदालत के इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि जिला कोर्ट ने ऐसे निर्णय लिए हैं जो कार्यकारी शाखा के क्षेत्र में आते हैं, इसने राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर किया है, कार्रवाई में देरी की है, अव्यवस्था की स्थिति पैदा की है और अधिकारों के विभाजन के उचित सम्मान का उल्लंघन किया है।
गौरतलब हैं कि इस यात्रा प्रतिबंध पर निचली अदालतों को न्यायिक बाधाओं का सामना करना पड़ा है लेकिन प्रशासन को जून में उस समय आंशिक राहत मिली जब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि वह देशों से आने वाले ऐसे कुछ लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की अपनी योजना को आगे बढ़ा सकता है जो खतरनाक प्रतीत हों लेकिन अमरीका में रहने वाले किसी व्यक्ति के करीबी संबंधी होने का विश्वनीय दावा करने वाले लोगों को नहीं रोका जा सकता। 29 जून के इस आदेश के बाद यह अस्पष्ट था कि यह विश्वनीय दावा कौन कर सकेगा।