Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Feb, 2018 06:19 PM
अमरीका की एक अदालत ने डॉक्टर की लापरवाही की शिकार एक पीड़िता के परिवार को दिए जाने वाले 20 मिलियन डॉलर मुआवजे की राशि पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने इस मामले में तर्क दिया कि यह एक सामान्य लापरवाही थी जिसके कारण मुआवजे की राशि का कोई तर्क नहीं बनता...
वॉशिंगटनः अमरीका की एक अदालत ने डॉक्टर की लापरवाही की शिकार एक पीड़िता के परिवार को दिए जाने वाले 20 मिलियन डॉलर मुआवजे की राशि पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने इस मामले में तर्क दिया कि यह एक सामान्य लापरवाही थी जिसके कारण मुआवजे की राशि का कोई तर्क नहीं बनता है।
जानकारी के मुताबिक, डेट्रॉइट के अस्पताल में बिमला नैय्यर (81) जनवरी 2012 में ओकवुड हैल्थकेयर के डीयरबोर्न अस्पताल में भर्ती हुई थी, वे यहां नियमित रूप से जबड़े की चैकअप कराने आई थी। लेकिन यहां के एक डॉक्टर ने महिला का अनावश्यक ब्रेन ऑपरेशन कर दिया था जिसके बाद उस महिला की मौत हो गई थी। डॉक्टर की एक बड़ी लापरवाही के कारण महिला को अनावश्यक रुप से ब्रेन सर्जरी से गुजरना पड़ा। वाशिंगटन रिपोर्ट के अनुसार, इस घटना के बाद वह महिला लगभग दो महीने तक जिंदगी और मौत के बीच झूलती रही आखिर में उसका निधन हो गया। 2015 में एक ज्यूरी ने न्याय करते हुए नैय्यर के परिवार को 20 मिलियन डॉलर देने की घोषणा की।
लेकिन मिशिगन की एक शीर्ष अदालत ने कहा कि वे इस मामले में एक डॉलर भी नहीं दे सकते हैं। कोर्ट ने पीड़िता के परिवार के वकील के दावे को गलत ठहराया जिसमें कहा गया गया था कि नैय्यर की मौत का कारण अस्पताल की बड़ी लापरवाही थी। कोर्ट ने कहा कि यह मौत एक सामान्य लापरवाही के कारण थी और इस तर्क पर कोई भी मुआवजा नहीं दिया जा सकता है। कोर्ट ने वकील को एक सामान्य लापरवाही का दावा करने पर रोक लगाते हुए कहा कि इसके बजाय उन्हें चिकित्सा में कदाचार का तर्क देना चाहिए था जिसके अंतर्गत मुआवजे की राशि दिया जाना सीमाबद्ध है।