Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jul, 2017 03:22 PM
उत्तरी ईराक में कुर्दिश सीमा के पास लालिश नाम का एक गांव है जिसे इतना पवित्र माना जाता है कि यहां के लोग बिना चप्पल पहने इधर-उधर घूमते...
बगदाद : उत्तरी ईराक में कुर्दिश सीमा के पास लालिश नाम का एक गांव है जिसे इतना पवित्र माना जाता है कि यहां के लोग बिना चप्पल पहने इधर-उधर घूमते हैं।
गांव के बीचोंबीच एक गुफा के पास छोटा सा बेहद पवित्र तालाब है। यजीदी समुदाय में चाहे बच्चे का जन्म हो, या फिर शादी या किसी की मौत, जबतक लालिश की मिट्टी के साथ इस तालाब के पानी को मिलाकर रस्म नहीं निभाई जाती तबतक कोई काम पूरा नहीं होता। 'द गार्डियन' अखबार ने यहूदी महिलाओं पर एक विस्तृत रिपोर्ट छापी है। आई.एस के चंगुल से आजाद हुई महिलाएं यहां आकर प्रार्थना करती हैं और पवित्र जल से खुद को धोकर खुद के 'दोबारा' पवित्र होने की उम्मीद करती हैं। माना जाता है कि यहां आकर अपना सिर और चेहरा धोने के बाद वे दोबारा अपने धर्म में शामिल हो गई हैं।
नूर की दर्दभरी दास्तां
आई.एस के चंगुल से आजाद हुई नूर(28)भी इसी मकसद से यहां पहुंची हैं। उनके पति अभी तक लापता हैं। नूर कहती हैं कि उन्हें 7 बार खरीदा और बेचा गया। इतनी यातनाएं सहने के बाद भी नूर का मानना है कि उनके साथ हुए सलूक से बदतर बर्ताव कई अन्य महिलाओं के साथ हुआ। जब ISIS ने नूर को पकड़ा था, उस समय उनकी दोनों बेटियों की उम्र क्रमश: 3 और 4 साल की थी। नूर खुद गर्भवती भी थीं। 15 महीने तक नूर और उनकी 2 छोटी बच्चियों को ISIS ने गुलाम बनाकर रखा।
नूर बताती हैं, 'बहुत बार दिल में ख्याल आता है कि मर जाऊं, खुद को खत्म कर लूं। लेकिन अपने बच्चों की खातिर मुझे जीना पड़ा।' नूर ने बताया कि ISIS का मानना है कि गैर-मुस्लिम महिलाओं के साथ बलात्कार करना असल में अपने 'खुदा' की इबादत का एक तरीका है। ISIS ने अपने कब्जे वाले इलाके में कई ऐसे बाजार बनाए, जहां छोटी-छोटी बच्चियों और महिलाओं की नीलामी होती थी। यहां तक कि ISIS ने ऑनलाइन भी महिलाओं को बेचना शुरू किया।