चीन को करारा जवाब देने की तैयारी में भारत !

Edited By ,Updated: 15 May, 2017 12:22 PM

india can counter china s obor with the help of mauritius

दक्षिण एशिया में सड़क मार्ग के जरिए अपना आधिपत्य कायम करने के लिए चीन द्वारा शुरू की गई बड़ी परियोजना वन बेल्ट वन रोड (OBOR) का भारत की ओर से विरोध किए जाने के बाद चीनी मीडिया ने कड़ी भर्त्सना की है...

बीजिंग: दक्षिण एशिया में सड़क मार्ग के जरिए अपना आधिपत्य कायम करने के लिए चीन द्वारा शुरू की गई बड़ी परियोजना वन बेल्ट वन रोड (OBOR) का भारत की ओर से विरोध किए  जाने के बाद चीनी मीडिया ने कड़ी भर्त्सना की है। उसने भारत के इस विरोध को खेदजनक बताया है। वहीं, खबर यह भी आ रही है कि चीन के इस मैगा परियोजना का भारत अपने सबसे भरोसेमंद देश मॉरीशस के साथ मिलकर ऊर्जा कूटनीति के जरिए करारा जवाब देने की तैयारी में जुटा है। आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की रणनीति के तहत अफगानिस्तान के साथ मिलकर शुरू किए अभियान की तरह भारत-चीन के OBOR के खिलाफ मॉरीशस के साथ मिलकर काम करेगा।

अंग्रेजी के एक अखबार के मुताबिक, भारत लगातार इंडोनेशिया से लेकर मॉरिशस तक ऊर्जा संबंधों को मजबूत बनाने की तैयारी में जुटा है। इससे भारत पश्चिम की ओर से किए जा रहे अवरोधों समाप्त करने में सक्षम हो सकेगा। खबर में बताया गया है कि भारत हिंद महासागर क्षेत्र में अपने सभी करीबी देशों को साधने में जुटा है, जिसमें मॉरिशस की भूमिका अहम बताई जा रही है। इससे पहले भी भारत मॉरिशस को पेट्रोलियम उत्पादों को सप्लाई करता रहा है। मॉरिशस के साथ जुड़ने से भारत अपनी पकड़ अफ्रीकी देशों तक भी पहुंचा सकता है।

उधर, चीन के एक सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने सोमवार को कहा है कि चीन की हाई प्रोफाइल OBOR पहल में शामिल होने से भारत का इंकार करना खेदजनक है, लेकिन नई दिल्ली के बहिष्कार से ढांचागत विकास के लिए उसके पड़ोसी देशों के बीच सहयोग कतई प्रभावित नहीं होगा। 2 दिवसीय ‘बेल्ट एंड रोड फोरम' में पाकिस्तान समेत 29 देशों के नेता भाग ले रहे हैं। भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरने वाले 50 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को लेकर संप्रभुता संबंधी चिंताओं के कारण इसका बहिष्कार किया है।

इसके अलावा, भारत का चीन के OBOR को ऊर्जा कूटनीति का जवाब देने की तैयारियों के बारे में भारतीय मीडिया में कहा जा रहा है कि दुनियाभर में हाइड्रोकार्बन के बड़े स्रोतों में से एक इंडोनेशिया भी भारत के साथ इस मिशन में आ सकता है। भारत के इस मिशन के तहत फ्लोटिंग स्टोरेज और रीगैसिफिकेशन यूनिट्स बनायी जा रही हैं, ताकि इंडोनेशिया में स्थित हजारों द्वीपों में ऊर्जा की आपूर्ति निर्बाध रूप की जा सके। इसके तहत भारत इंडोनेशिया से गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाली एलएनजी किट की सप्लाई बढ़ाने पर जोर दे रहा है ।

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