हाफिज सईद के साथ मंच साझा करने वाले राजनयिक के खिलाफ कार्रवाई करेगा फलस्तीन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Dec, 2017 10:55 PM

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भारत ने कुछ दिन पहले ही फलीस्तीन को समर्थन किया था उसी के राजदूत ने भारत के सबसे बड़े दुश्मन से हाथ मिला लिया है। जहां भारत के उच्च अधिकारी पीएम मोदी के फलीस्तीन दौरे की तैयारी कर रहे हैं वहीं 26/11 हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की एक रैली में...

नई दिल्ली ( रविंद्र सिंह रोबिन ): एक करोड़ डालर वाले इनामी आतंकवादी हाफिज सईद के साथ बैठने वाले इस्लामाबाद स्थित फलस्तीनी राजदूत वालिद अबू अली को नौकरी गंवानी पड़ी। शुक्रवार को रावलपिंडी में हाफिज सईद की अगुवाई वाले जिहादी संगठन दिफाए पाकिस्तान काउंसिल की आम  सभा में हाफिज सईद के साथ मंच पर बैठने पर  फलस्तीनी राजदूत के खिलाफ भारत ने फलस्तीनी प्रशासन से शिकायत की थी। यहां राजनयिक सूत्रों ने बताया कि भारत द्वारा एतराज जताने के बाद फलस्तीनी प्रशासन ने इस्लामाबाद स्थित अपने राजदूत को पाकिस्तान से वापस बुला लिया है। आतंकवाद के खिलाफ भारत द्वारा चलाए जा रहे राजनयिक अभियान में भारत की यह बड़ी कूटनीतिक जीत है।  

भारत ने फलस्तीन का किया था समर्थन 
उल्लेखनीय है कि एक सप्ताह पहले ही भारत ने संयुक्त राष्ट् में फलस्तीन के पक्ष में वोट दिया है। संयुक्त राष्ट् में भारत ने उस प्रस्ताव का समर्थन किया था जिसमें अमरीका द्वारा यरुशलम को इजराइल की राजधानी बताने की निंदा की गई थी। इजराइल के साथ भारत के गहराते रक्षा और सामरिक रिश्तों के बावजूद भारत ने फलस्तीन मसले पर अपना ऐतिहासिक रुख बरकरार रखा जिसका फलस्तीनी प्रशासन ने स्वागत किया था।

दोनों देशों के रिश्तों पर पड़ सकता था असर
जनवरी के मध्य में इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू भारत आ रहे हैं लेकिन भारत ने अपनी फलस्तीन नीति में कोई बदलाव नहीं लाते हुए संयुक्त राष्ट्र में अपनी सैद्धांतिक नीति का इजहार किया और इसके साथ ही फरबरी के मध्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फलस्तीन जाने का कायर्क्रम भी बनाया जा रहा है। पाकिस्तान में फलस्तीनी राजदूत के खिलाफ फलस्तीनी प्रशासन कार्रवाई नहीं करता तो प्रधानमंत्री मोदी का फलस्तीन दौरा रद्द हो सकता था। इससे भारत और फलस्तीन के रिश्तों पर प्रतिकूल असर प़ड़ता।  हालांकि फलिस्तीन ने मुंबई हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद पर अपना बयान देने से परहेज किया।


भारत ने अपनाया था कड़ा रूख

यहां भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने शनिवार शाम को यह जानकारी दी थी कि फलस्तीनी अधिकारियों को साफ बताया गया कि  रावलपिंडी में लश्कर ए तैयबा के मुखिया  हाफिज सईद के साथ फलस्तीनी राजदूत का बैठना भारत को कतई स्वीकार नहीं होगा। प्रवक्ता ने कहा कि फलस्तीनी राजदूत और फलस्तीनी मुख्यालय रमल्ला में विदेश कार्यालय को भारत के कड़े रुख से अवगत करा दिया था। प्रवक्ता ने कहा कि फलस्तीनी प्रशासन ने इस घटना पर गहरा खेद जाहिर किया और भारत सरकार को भरोसा दिया कि हाफिज सईद के साथ उसके राजदूत के बैठने को फलस्तीनी प्रशासन ने काफी गम्भीरता से लिया है। फलस्तीनी अधिकारियों ने कहा कि इस मसले से वे समुचित तरीके से निबटेंगे। फलस्तीनियों ने यह भी कहा कि वे भारत के साथ रिश्तों को काफी अहमियत देते हैं और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ हमेशा खडे रहेंगे। उन्होंने कहा कि भारत के खिलाफ आतंकवादी हरकतें करने वाले लोगों के साथ किसी तरह का मेलजोल नहीं करेंगे।

मोदी के दौरे को देखते हुए फलस्तीनी ने की कार्रवाई
राजनयिक सूत्रों के मुताबिक फलस्तीनी प्रशासन संयुक्त राष्ट्र और इस्लामिक देशों के संगठन (ओआईसी) में जम्मू कश्मीर पर लाए गए प्रस्तावों पर भारत के खिलाफ वोट करता रहा है लेकिन फलस्तीनी मसले पर भारत हमेशा अपने सैद्धांतिक रुख पर टिका रहा । पर इस बार यदि फलस्तीनी प्रशासन हाफिज सईद के साथ बैठने पर अपने राजदूत के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता तो प्रधानमंत्री मोदी का फलस्तीन दौरा रद्द कर दिया जाता।

फरवरी में पीएम करेंगे फलीस्तीन का दौरा
गौरतलब है कि पीएम अगले साल फरवरी में फलीस्तीन की यात्रा पर जाने वाले हैं। 11 से 13 फरवरी के बीच यूएई में वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट का आयोजन किया गया है। इसमें भारत को मेहमान देश के तौर पर आमंत्रित किया गया है। इसी समिट में शामिल होने के लिए पीएम मोदी फरवरी में यूएई जाएंगे और भारत के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे।

 

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