Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Jun, 2017 04:08 PM
भारत और अमरीका के संयुक्त बयान में आतंकवाद मुद्दे पर की गई बात कोई सामान्य बात नहीं हो सकती है...
वॉशिंगटनः भारत और अमरीका के संयुक्त बयान में आतंकवाद मुद्दे पर की गई बात कोई सामान्य बात नहीं हो सकती है। यह दोनों देशों की कूटनीतिक पहल रही है। नॉर्थ कोरिया को लेकर अमरीका और चीन के मतभेद से भारत को एक कूटनीतिक मौका मिला है, जिसकी उम्मींद जानकार पहले से ही जता रहे थे। बता दें कि आतंकवाद मुद्दे पर जहां दोनों देश बड़े तेजी से काम कर रहें और दोनों ही एक दूसरे की सक्रिय भागदारी की उम्मींद कर रहें है। जानकारों का कहना है कि कूटनीति से भारत चीन पर दबाव डालने में कामयाब हो सकता है।
नॉर्थ कोरिया को लेकर अमरीका और चीन के मतभेद से भारत को एक कूटनीतिक मौका मिला है। यह मौका है चीन को काउंटर करने का,जो आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ खड़ा नजर आता है। भारत का नॉर्थ कोरिया पर प्रतिबंध को समर्थन देना उस मुद्दे को हवा देना है, जिसे लेकर ट्रंप बेहद गंभीर हैं। गौरतलब है कि अमरीका की ओर से नॉर्थ कोरिया पर की गई कार्रवाई पर भारत ने अमेरिका का समर्थन किया था। ट्रंप ने तारीफ भी की थी। ट्रंप की इस टिप्पणी को भारतीय कूटतनीतिक खेमे की एक जीत के तौर पर देखा जा रहा है। जीत इसलिए क्योंकि भारतीय पक्ष एक तुनकमिजाज नेता की अगुवाई वाले शासन से सामंजस्य बिठाने में कामयाब रहा।
दरअसल, नॉर्थ कोरिया की हमेशा से अपनी तानाशाही रवैये से डॉनल्ड ट्रंप को परेशान करता आ रहा है। जिससे यह देश अमरीका की आंखों की किरकिरी बना हुआ है। आए दिन नॉर्थ कोरिया अमरीका और उसके सहयोगी देशों को वक्त-वक्त पर परमाणु हमले की धमकियां देता रहता है। पीएम नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा, '...मैं भारत के लोगों को अफगानिस्तान में जारी कोशिशों पर योगदान और नॉर्थ कोरिया शासन पर नए प्रतिबंध लगाने में हमारे साथ आने के लिए भी धन्यवाद देना चाहता हूं। नॉर्थ कोरियाई शासन जबर्दस्त तरीके के समस्याएं पैदा कर रहा है और इससे जल्द से जल्द निपटने की जरूरत है।'