चीन को टक्कर की तैयारी में भारत, इस परियोजना पर बढ़ाया कदम !

Edited By ,Updated: 10 Apr, 2017 04:01 PM

instc for better indo russian corridor inches towards reality

भारत चीन के वन बेल्ट वन रोड को टक्कर देने की तैयारी में है...

 
बीजिंगः भारत चीन के वन बेल्ट वन रोड को टक्कर देने की तैयारी में है । जानकारी के अनुसार  भारत को ईरान के रास्ते रूस और यूरोप से जोड़ने की परियोजना को अमीला जामा पहनाने की दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ा दिया गया है। इंटरनैशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्टेशन कॉरिडोर (INSTC) के तहत सीमा शुल्क की आसान सुविधा वाले हरित गलियारे (ग्रीन कॉरिडोर) के जरिए जल्द ही सामानों की आवाजाई का पूर्वाभ्यास (ड्राइ रन) किया जा सकता है। भारत-रूस के बीच राजनयिक सबंधों की 70वीं वर्षगांठ के मौके पर इस महीने इसका संचालन हो सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) जब पूर तरह संचालन में आ जाएगा तो भारत और यूरेशिया के बीच सामानों की आवाजाई की अवधि और लागत में कमी आएगी और भारत एवं साधन संपन्न रूस के साथ-साथ यूरोप के बाजारों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। अंतर्राष्ट्रीय सीमा शुल्क सम्मेलन टीआईआर से जुड़ने के भारत के फैसले के बाद INSTC का सपना हकीकत के  करीब पहुंच गया। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि विभिन्न पक्षों की मीटिंग में इसके संचालन की रूपरेखा पर पर चर्चा हुई। आईएनएसटीसी उन गलियारों में एक है जिन्हें भारत चीन के वन बेल्ट वन रोड नीति के सामानांतर बनाने पर काम कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंटरनैशनल इकनॉमिक फोरम में हिस्सा लेने जून में सैंट पीटर्सबर्ग जा रहे हैं। तब वह रूस में आईएनएसटीसी  के एंट्री पॉइंट ऐस्ट्रकेन की यात्रा कर सकते हैं। भारत और रूस 13 अप्रैल को अपने राजनयिक संबंधों की 70वीं बरसी मनाएंगे। इस मौके पर पूरे साल तरह-तरह के समारोह आयोजित होंगे।

 क्या है अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC)
INSTC 7,200 किमी लंबा जमीनी और सामुद्रिक रास्ता है। इसमें परिवहन के रेल, सड़क और समुद्री मार्ग शामिल हैं। इसके जरिए समय और लागत में कटौती कर रूस, ईरान, मध्य एशिया, भारत और यूरोप के बीच व्यापार को बढ़ावा दिए जाने का लक्ष्य है। इस नेटवर्क से यूरोप और दक्षिण एशिया के बीच व्यापारिक गठजोड़ में तेजी एवं ज्यादा कुशलता की उम्मीद की जा रही है। फेडरेशन ऑफ फ्रेट फॉरवार्डर्स असोसिएशंज ऑफ इंडिया के सर्वे में सामने आया कि मौजूदा मार्ग के मुकाबले आईएनएसटीसी 30 प्रतिशत सस्ता और 40 प्रतिशत छोटा रास्ता होगा।

 पिछले साल अक्तूबर में रूस की जेएससी आरजेडडी लॉजिस्टिक्स, ईरान रेलवेज, अजरबैजान रेलवेज और लॉजिस्टिक कंपनी एडीवाई एक्सप्रेस ने आईएनएसटीसी पर पहला टेस्ट शिपमेंट ऑर्गनाइज किया था। 22 सितंबर को मुंबई से ट्रेन चली थी जो 12 अक्तूबर को रूस के कलुगा रीजन पहुंची। भारत और रूस अभी सामान लाने-ले जाने के लिए समुद्री रास्ते का इस्तेमाल करते हैं जिसमें 40 दिन का वक्त लग जाता है।

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