Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Mar, 2018 06:12 PM
अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की और से बढ़ती शत्रुता का मतलब है कि ईरान को रूस और चीन के साथ अपने संबंध मजबूत करने चाहिए। एक शीर्ष अधिकारी ने शनिवार को यह बात कही...
तेहरानः अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की और से बढ़ती शत्रुता का मतलब है कि ईरान को रूस और चीन के साथ अपने संबंध मजबूत करने चाहिए। एक शीर्ष अधिकारी ने शनिवार को यह बात कही।
ईरान की संसद की विदेश मामलों की समिति के चेयरमैन अलद्दीन बोरोउजेर्दी ने कहा, ‘ इस्लामिक गणराज्य के प्रति शत्रुतापूर्ण कट्टरपंथी तत्वों का इस्तेमाल करना यह दिखाता है कि अमरीकी, ईरान के खिलाफ दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।’ ट्रंप द्वारा रूढि़वादी तेजतर्रार जॉन बोल्टन की राष्ट्रीय सुरक्षा प्रमुख के तौर पर नियुक्ति पर ईरान के किसी वरिष्ठ अधिकारी की ओर से यह पहली प्रतिक्रिया है।
इससे कुछ दिनों पहले ट्रंप ने अपने शीर्ष राजनयिक के तौर पर कट्टरपंथी माइक पोम्पियो की नियुक्ति की थी। इन नियुक्तियों से ईरान के खिलाफ अमरीका की सैन्य कार्रवाई का डर बढ़ गया है। पूर्व संयुक्त राष्ट्र राजदूत और वर्ष 2003 में अमरीका के नेतृत्व में इराक पर हमले के समर्थक रहे बोल्टन ने 2015 में हुए ऐतिहासिक ईरान परमाणु समझौते का विरोध किया था। बोल्टन ने तेहरान में सत्ता परिवर्तन में भी अहम भूमिका निभाई थी।
बोरोउजेर्दी ने कहा कि ट्रंप ‘ इस्राइल और सऊदी अरब को आश्वस्त’ करने पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘ हमें चीन और रूस जैसे महत्वपूर्ण देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की जरुरत है जो अमरीकी प्रतिबंधों और उससे मिलने वाली चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों चीन और रूस के साथ संबंध मजबूत करने से ‘ अमरीकी दबाव के असर को कम करने में मदद’ मिलेगी। ईरान ने हाल के वर्षों में चीन और रूस के साथ अपने रिश्ते मजबूत किए हैं। ईरान और रूस, सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल- असद के अहम समर्थक हैं जबकि चीन, ईरान का शीर्ष व्यापारिक साझेदार है।