'गैर मुस्लिमों' को इफ्तार के लिए बुलाती है ये महिला ताकि...

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Jun, 2017 06:36 PM

nazia erum invites strangers to iftar parties

रमज़ान, इबादत, सेहरी और इफ्तार, ये सब कितना ‘मुस्लिम टाइप्स’ लगता है न...

नई दिल्लीः रमज़ान, इबादत, सेहरी और इफ्तार, ये सब कितना ‘मुस्लिम टाइप्स’ लगता है न। कह देने से बात पॉलिटिकली गलत हो जाती है, लेकिन दिमाग में आती तो है। आपके नहीं आती तो आप किसी ऐसे शख्स को पक्के से जानते होंगे जो ऐसा सोचता/सोचती है।बात ये है कि हम में से कई लोग ऐसे हैं जिनका कोई मुस्लिम दोस्त नहीं रहा या रही।  या दोस्ती रही तो इतनी नहीं कि दोस्त को ढूंढते हुए किचन में घुस जाएंं और फ्रिज से पानी निकाल कर पी लें।इसलिए दिमाग में पचास तरह के पूर्वाग्रह भरे पड़े हैं मुसलमानों के लाइफ स्टाइल को लेकर।

‘मदरिंग अ मुस्लिम’ लिखने वाली टेड स्पीकर नाज़िया इरुम ने अपनी किताब के लिए रिसर्च करते हुए जाना कि सामान्य मानवी के इसी तरह के डाउट दूर करना बहुत ज़रूरी है।तब उन्होंने सोचा क्यों न, इफ्तार के लिए कुछ नॉन-मुस्लिम लोगों को बुलाया जाए. ताकि उन्हें पता चले कि  मुसलमान असल में होता कैसा है। और ऐसा तभी हो सकता है जब वो करीब से खुद मुसलमान को देखें। तो एक दिन नाज़िया ने अपनी फेसबुक वॉल पर  इफ्तारी का निमंत्रण पोस्ट किया।

नाज़िया को लगा नहीं था कि ज़्यादा लोग इस सवाल में दिलचस्पी लेंगे।  लेकिन 30 से ऊपर लोगों ने इस पोस्ट पर रिप्लाई किया और इफ्तार में शिरकत करने की ख्वाहिश जताई। लाज़मी तौर पर आने की ख्वाहिश जताने वाले ज़्यादातर लोग मुसलमान नहीं थे। नाज़िया सोच में पड़ गई कि इतने लोगों की आगवानी कैसे करेंगी। फिर सोशल मीडिया के ज़रिए ही कुछ औरतें आगे आईं और उन्होंने नाज़िया के साथ मिल कर सारा इंतज़ाम किया। नाज़िया के यहां इतने लोगों के लिए जगह नहीं थी तो इन्हीं में से एक ने पार्टी के लिए अपना घर भी दिया।

4 जून को हुई इफ्तार पार्टी में लगभग 50 ऐसे लोग पहुंचे जिन्होंने अपनी ज़िंदगी में कभी इफ्तार पार्टी नहीं देखी थी। इसकी आगवानी करने वाली 12 मुस्लिम औरतों में से कोई ‘टिपिकल बुर्का मुस्लिम’ नहीं थी, सब की सब प्रोफेशनल थीं ।कोई पायलट थी, कोई बाइकर, कोई ब्लॉगर और कोई वकील। नाज़िया की इस छोटी सी पहल को सोशल मीडिया पर खूब तारीफ मिली और फिर मीडिया ने कहानी छापी, दिखाई तो नाज़िया की देखा-देखी गुआहाटी, हैदराबाद और मुंबई में भी इसी तरह की इफ्तार पार्टियां आयोजित की गईं । 

अपना आइडिया कामयाब होते देख नाज़िया ने 18 जून को एक और इफ्तार पार्टी आयोजित की।संयोग से इसी दिन इंडिया-पाकिस्तान का चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल भी है, तो इफ्तार पार्टी के बाद मैच देखने का प्लान बन गया है।  नाज़िया कहती हैं,”सोशल मीडिया से ज़्यादातर की ये शिकायत है कि वो लोगों को अकेला करता है  लेकिन हमारी इस पहल से पता चलता है कि सोशल मीडिया को अच्छे काम के लिए इस्तेमाल किया जाए तो वो लोगों में दूरियां घटा भी सकता है।” 

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