Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Jun, 2017 11:51 AM
चीन ने शुक्रवार को कहा कि परमाणु अप्रसार संधि(एनपीटी)पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों के परमाणु आपूर्तकिर्ता समूह (एनएसजी) में प्रवेश को लेकर उसके रुख में कोई परिवर्तन...
बीजिंग: चीन ने शुक्रवार को कहा कि परमाणु अप्रसार संधि(एनपीटी)पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों के परमाणु आपूर्तकिर्ता समूह (एनएसजी) में प्रवेश को लेकर उसके रुख में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है । चीन के इस बयान से भारत के 48 सदस्यीय एनएसजी में समूह की अगले सप्ताह होने वाली बैठक में प्रवेश की संभावना को धक्का पहुंचा है।
एनएसजी में नए सदस्यों के प्रवेश पर चीन के रूख में कोई परिवर्तन नहीं
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने संवाददाताओं से कहा, "परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) के मुद्दे पर मैं आपको बता सकता हूं कि एनएसजी में नए सदस्यों के प्रवेश पर चीन के रूख में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।" लू ने यह टिप्पणी उन खबरों को लेकर पूछे गए सवाल का उत्तर देते हुए की कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल में अस्ताना में हुए शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन के इतर चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ हुई बैठक में एनएसजी में भारत के प्रवेश का मुद्दा उठाया था।
खबरों के अनुसार एनएसजी की पूर्ण बैठक अगले सप्ताह स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में होनी है। यह मुद्दा भारत और चीन के साथ द्विपक्षीय बैठक में एक प्रमुख बाधा बन गया है। परमाणु व्यापार नियंत्रित करने वाले इस समूह (एनएसजी) में प्रवेश के लिए भारत की अर्जी के बाद चीन के सदाबहार सहयोगी पाकिस्तान ने भी चीन के मौन समर्थन से अर्जी दे दी थी।
गौरतलब है कि भारत को अमरीका और कई पश्चिमी देशों का समर्थन हासिल है। भारत ने इसके साथ ही समूह के अधिकतर सदस्यों का समर्थन हासिल कर लिया है। चीन अपने इस रुख पर अड़ा हुआ है कि समूह के नए सदस्यों को एनपीटी पर हस्ताक्षर करना चाहिए। चीन ने ऐसा करके समूह में भारत का प्रवेश मुश्किल कर दिया है क्योंकि समूह आम सहमति के सिद्धांत से निर्देशित होता है। भारत ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किया है।