Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Feb, 2018 01:17 PM
पिछले साल दुनिया में व्यापार और पर्यावरण के बाद जिस विषय पर सबसे ज्यादा बात हुई वह है अमरीका और उत्तर कोरिया के बीच मिसाइल स्विच को लेकर। इसके अलावा यूरोप में अमरीका के मिसाइल डिफेंस सिस्टम स्थापित करने को लेकर जिससे नाटो और रूस के बीच तनाव का...
वॉशिंगटनः पिछले साल दुनिया में व्यापार और पर्यावरण के बाद जिस विषय पर सबसे ज्यादा बात हुई वह है अमरीका और उत्तर कोरिया के बीच मिसाइल स्विच को लेकर। इसके अलावा यूरोप में अमरीका के मिसाइल डिफेंस सिस्टम स्थापित करने को लेकर जिससे नाटो और रूस के बीच तनाव का वातावरण रहा।
इस बीच, अमरीकी विशेषज्ञों ने बताया कि इस मामले में उत्तर कोरिया अभी फिस्सडी है और अभी उस स्तर पर नहीं पहुंचा है कि दुनिया में कहीं भी मिसाइल हमला कर सके। वर्तमान में केवल 5 देश ही ऐसे हैं जिनके पास दुनिया के किसी भी हिस्से में मिसाइल हमला करने की क्षमता है। इनमें रूस, अमरीका, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस हैं।
उत्तर कोरिया ने वर्ष 2017 में ऐसे मिसाइल परीक्षण किए, जो चौंकाने वाले थे। फिर वहां के तानाशाह शासक ने कहा कि उनका देश अमरीका पर पर भी मिसाइल हमला कर सकता है। उत्तर कोरिया उन देशों में शामिल है, जो मिसाइल हमले की सटीकता और क्षमता बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। इनमें इजरायल, भारत, सऊदी अरब, ईरान, पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया और ताइवान भी शामिल हैं।
मिसाइल कार्यक्रमों पर अध्ययन करने वाले सैंटर फॉर स्ट्रेटजिक एंड इंटरनैशनल स्टडीज़ के एसोसिएट डाइरेक्टर इयान विलियम्स कहते हैं कि हम मिसाइलों के नए युग में प्रवेश कर रहे हैं। कई देशों ने जो मिसाइलें तैयार की हैं, वे अप्रचलित प्रौद्योगिकी वाली हैं। उनमें सटीकता कम होती है, जिस कारण आम नागरिकों की जान खतरे में पड़ती है। कई देश ऐसे हैं जिन्होंने पिछले 2 दशक में सबसे ज्यादा पैसा मिसालों पर खर्च किया है।
एशिया और मध्य-पूर्व तो इसके हॉट-स्पॉट हैं। जो देश मिसाइलों पर ज्यादा खर्च करते हैं, उनमें ज्यादातर का उद्देश्य क्षेत्रीय विरोधियों को डराना होता है, लेकिन आज इन हथियारों की होड़ दुनियाभर में फैल चुकी है। ऐसे देशों की संख्या बढ़ रही है, जो क्षेत्रीय तनाव के समाधान के लिए मिसाइल टेक्नोलॉजी उन्नत कर रहे हैं। इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि वे युद्ध जैसा वातावरण निर्मित कर रहे हैं।