इन 8 मुस्लिम देशों में पहले से ही BAN है तीन तलाक

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Aug, 2017 05:02 PM

pakistan and 7  other muslim countries have abolished triple talaq

भारत में तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के एेतिहासिक फैसले की गूंज पूरी दुनिया में उठी है....

इस्लामाबादः भारत में तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के एेतिहासिक फैसले की गूंज पूरी दुनिया में उठी है। भारत में सुप्रीम कोर्ट  ने तीन तलाक को गैरकानूनी करार देते  सरकार को इस पर कानून बनाने को कहा है। इस पर रोक के लिए भारत में मुस्लिम महिलाओं को काफी लंबा इंतजार करना पड़ा। जबकि दुनिया के कई मुस्लिम देशों में इस पर काफी लंबे समय से रोक लगी हुई है जिनमें ये 8 देश शामिल हैं।  

पाकिस्तान में 1961 में तीन तलाक को गैरकानूनी बताते हुए मुस्लिम फैमिली लॉ ऑर्डिनेंस का ऐलान किया गया। इसके तहत जो शख्स अपनी पत्नी से तलाक चाहता है, उसे लोक काउंसिल के चेयरमैन को नोटिस भेजना होगा। इसके साथ ही इस नोटिस की कॉपी अपनी पत्नी को भी भेजनी होगी। इसके 30 दिन बाद काउंसिल दोनों के बीच समझौते की कोशिश करती है। इसके बाद 90 दिनों तक इंतजार करने के बाद भी समझौता न होने पर तलाक माना जाता है। इसके तहत पत्नी निकाहनामे में तलाक लेने के अपने अधिकार को भी निर्धारित कर सकती है।
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1971 में जब बांग्लादेश पाकिस्तान से अलग हुआ, तब उसने तलाक को लेकर वही कानून जारी रखा, जो पाकिस्तान में माना जा रहा है।

अल्जीरिया में तलाक का फैसला सिर्फ कोर्ट में होता है। दोनों पक्षों के बीच एक बार समझौते की कोशिश की जाती है। इसके लिए 3 महीने का वक्त भी दिया जाता है, फिर कोर्ट से इसका फैसला होता है।

मिस्र ने 1929 में तलाक लेने की प्रक्रिया में बदलाव किया। ये कानून 13वीं सदी के इस्लामिक विद्वान इब्न तयमियाह द्वारा की गई कुरान की व्याख्या पर आधारित है। इसके तहत एक ही बार में तीन बार तलाक बोलने (तलाक-तलाक-तलाक) को भी एक तलाक ही माना जाता है। यानी इसे तीन स्तरीय तलाक प्रक्रिया का पहला स्टेप माना जाता है। पहला तलाक बोलने के बाद दोनों पक्षों को 90 दिन का इंतजार करना पड़ता है।

ट्यूनीशिया में 1956 से तीन तलाक पर बैन है। इसका फैसला सिर्फ कोर्ट को जरिए ही हो सकता है। कोर्ट पहले दोनों पक्षों को सुलह का वक्त देता है इसके बाद फैसला सुनाता है।

तुर्की में मुस्तफा कमाल अतातुर्क की लीडरशिप में 1926 में स्विस सिविल कोड अपनाया। ये कानून यूरोप में सबसे प्रगतिशील माना जाता है। इसके लागू होने के बाद शादी और तलाक से जुड़े इस्लामी कानून खुद ब खुद खत्म हो जाते हैं। साइप्रस ने भी 1980 में तुर्की में लागू कानून को ही अपने देश में अपना लिया है।
 
सूडान में भी मिस्र में लागू तलाक की कानून प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है। हालांकि, कुछ नए प्रावधान भी जोड़े गए हैं। तलाक होने के बाद इद्दात की एक अवधि दी जाती है, जिसमें महिला के पीरियड्स की तीन साइकिल गुजर जाएं। इसके बाद कोर्ट ऑफिशियल  डॉक्युमेंट तैयार करती है और सरकार तलाक की मंजूरी देती है।

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