Edited By ,Updated: 28 Sep, 2016 12:14 PM
56 साल पुराने सिंधु जल समझौते के टूटने की आशंका के बीच पाकिस्तान बाैखला गया है और उसने इस संधि काे बचाने के लिए अब वर्ल्ड बैंक से मध्यस्थता करने की अपील की है।
नई दिल्ली: 56 साल पुराने सिंधु जल समझौते के टूटने की आशंका के बीच पाकिस्तान बाैखला गया है और उसने इस संधि काे बचाने के लिए अब वर्ल्ड बैंक से मध्यस्थता करने की अपील की है। पाकिस्तानी न्यूज चैनल के मुताबिक, मंगलवार को पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल अशतर आसिफ अली की अगुवाई में एक टीम ने वाशिंगटन डीसी स्थित वर्ल्ड बैंक के मुख्यालय पहुंचकर अफसरों से मुलाकात की और विश्व बैंक को सिंधु जल समझौते को लेकर 1960 के अनुच्छेद 9 का हवाला देकर मदद मांगी।
भारत से घबराया पाकिस्तान
दरअसल भारत के सख्त रवैये से पाकिस्तान इतना घबरा गया है कि उसने सिंधु जल समझौते को लेकर उठ रहे विवाद को रोकने के लिए वर्ल्ड बैंक से जल्द जजों की नियुक्ति करने की अपील की है। वहीं पाकिस्तान की गुहार के बाद वर्ल्ड बैंक ने मुद्दों को सुलझाने का आश्वासन दिया है। यही नहीं, चेनाब और नीलम नदी पर चले रहे भारत के प्रोजेक्ट्स को लेकर भी पाकिस्तान दहशत में है और उसने वर्ल्ड बैंक से भारत के निर्माणाधीन प्रोजेक्ट्स पर रोक लगाने की मांग की है। पाकिस्तान का कहना है कि भारत नियमों की अनदेखी कर इन नदियों पर हाइड्रो पावर के लिए काम कर रहा है।
विश्व बैंक की अहम भूमिका
बता दें कि इस संधि को अंजाम देने में विश्व बैंक की अहम भूमिका थी। इसलिए पाकिस्तान विश्व बैंक से मदद मांग रहा है। वहीं, उरी हमले के बाद से भारत जिस तरह सिंधु जल संधि पर विचार कर रहा है, उससे पाकिस्तान छटपटाने लगा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को दो टूक संदेश देते हुए कहा है कि खून और पानी अब साथ-साथ नहीं बह सकता है।