Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Sep, 2017 06:04 PM
ह्यूमन राईट्स वाच ने रोहिंग्या मामले में म्यांमार सरकार की आलोचना करते हुए सुरक्षा परिषद से उसके खिलाफ प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया।
यांगूनः अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन ह्यूमन राईट्स वाच ने रोहिंग्या मामले में म्यांमार सरकार की आलोचना करते हुए सुरक्षा परिषद से उसके खिलाफ प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया। इस बीच म्यांमार सरकार के प्रवक्ता ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि इन आरोपों में कोई दम नहीं हैं और न ही इनके समर्थन में कोई सबूत हैं तथा सरकार लोगों की सुरक्षा और उनके हितों के लिए प्रतिबद्ध है।
सरकार ने संयुक्त राष्ट्र के इन आरोपों को भी नकार दिया है कि म्यांमार सेना रोहिंग्या मुसलमानों के जनजातीय सफाए की दिशा में काम रही है। सरकार का कहना है कि सेना केवल उन्हीं आतंकवादियों के खिलाफ अभियान चला रही है, जिन्होंने पुलिस और सैनिकों पर हमला करनेे के बाद नागरिकों की हत्या कर दी और गांवों में आग लगा दी थी।
म्यांमार सेना के चलाए गए अभियान के बाद लगभग 44000 लोग म्यांमार से बाहर चा चुके हैं और इनमें अधिकतर रोहिंग्या आबादी है। इनका आरोप है कि म्यांमार सुरक्षा बल और बौद्ध समुदाय के कार्यकर्ता इन्हें बंगलादेश से बाहर भेजने पर आमादा हैं। संगठन के विधि एवं नीति निर्देशक जेम्स रॉस ने बताया कि उत्तर राखिने राज्य से सेना लोगों को जबरन बाहर निकालने पर आमादा है।
संगठन ने यह आरोप लगाया है कि उपग्रह आंकड़ों से हासिल जो जानकारी उसके पास है उससे पता चलता है कि इन लोगों को जबरन बाहर निकाला गया है। इस समुदाय के लोगों की हत्याएं की गई हैं और महिलाओं के साथ बलात्कार जैसी घटनाएं भी हुई हैं।
म्यांमार सरकार के प्रवक्ता जा हते ने इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि मानवाधिकारों की रक्षा के लिए जो प्रभावी कदम मौजूदा सरकार ने उठाए हैं ऐसा अब तक किसी पूर्ववर्ती सरकार ने नहीं किया है और ठोस सबूतों के बगैर लगाए जाने वाले इस तरह के आरोप बहुत ही खतरनाक है।