Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Jul, 2017 03:18 PM
सऊदी अरब ने क़तर पर आतंकी संगठनों को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए उसके साथ सभी राजनायिक संबंध समाप्त कर दिए थे...
सऊदी अरबः सऊदी अरब ने क़तर पर आतंकी संगठनों को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए उसके साथ सभी राजनायिक संबंध समाप्त कर दिए थे, लेकिन क़तर पर इस क़दम का ज़्यादा असर पड़ता नहीं दिख रहा है। सऊदी अरब के साथ संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), बहरीन और मिस्र ने भी क़तर के साथ अपने राजनायिक संबंध तोड़े थे। इसके बाद यमन, लीबिया और मालदीव ने भी क़तर से दूरी बना ली थी। सऊदी अरब ने क़तर को 13 शर्तें मानने के लिए कहा था, जिसमें आतंकी संगठनों के साथ गठजोड़ समाप्त करने से लेकर अल-जज़ीरा टीवी को बंद करना शामिल था।
हालांकि क़तर ने किसी भी शर्त को मानने से इंकार कर दिया है और वह अपनी ज़रूरतों का सामान ईरान और तुर्की से आयात करने लगा। माना जा रहा है कि जिस उद्देश्य के साथ अरब देशों ने क़तर के साथ अपने संबंध समाप्त किए थे वह उल्टा असर करने लगे हैं। क़तर की 27 लाख जनता के लिए ज़्यादातर ज़रूरी सामान आयात पर ही निर्भर रहता है। उसकी लगभग 40 प्रतिशत खाद्य सामग्री सऊदी अरब बॉर्डर से आती है।
सऊदी अरब के क़तर से रिश्ते समाप्त करने के बाद तुर्की और ईरान उसकी सहायता के लिए सामने आ गए। इस वजह से एक तरफ़ तो ईरान के व्यापार को फ़ायदा मिला वहीं दोहा और तेहरान के बीच राजनयिक रिश्ते भी अच्छे होने लगे। क़तर की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर रोरी मिलर के अनुसार क़तर पर लगा प्रतिबंध पूरी तरह से विफल रहा। सऊदी अरब और यूएई ने जिस गठजोड़ की मंशा के साथ खाड़ी क्षेत्र में अपना एकाधिकार जमाने का प्रयास किया था, उसमें वह सफल नही हो सके. इसके उलट तुर्की ने क़तर के साथ अपने रिश्ते अधिक मजबूत कर लिए हैं।