Edited By ,Updated: 20 Nov, 2016 11:56 AM
अमरीका के न्यूयॉर्क शहर में शनिवार को मुस्लिम समुदाय ने एक रैली का आयोजन किया जिसमें नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की जीत के बाद समुदाय में फैले ''ख़ौफ़ और बेचैनी'' का इज़हार किया गया...
वॉशिंगटनः अमरीका के न्यूयॉर्क शहर में शनिवार को मुस्लिम समुदाय ने एक रैली का आयोजन किया जिसमें नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की जीत के बाद समुदाय में फैले 'ख़ौफ़ और बेचैनी' का इज़हार किया गया। रैली में कुछ लोगों ने ट्रंप के साथ सहयोग करने की भी बात की। न्यूयॉर्क पुलिस विभाग में कार्यरत मुस्लिम पुलिस अफ़सरों की एक संस्था मुस्लिम पुलिस आफ़िसर्स एसोसिएशन ने ब्रुकलिन में इस रैली का आयोजन किया जिसमें अनेक मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
इस रैली में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने डोनल्ड ट्रंप की जीत के बाद अमरीकी मुसलमान में पनपे 'ख़ौफ़' का ज़िक्र किया। मुस्लिम पुलिस आफ़िसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अदील राना ने रैली को संबोधित करते हुए कहा, "हम अपने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप को जीत की बधाई देते हैं. उन्हें यह भी याद दिलाना चाहते हैं कि इस देश में वे अमरीकी भी रहते हैं जो मुसलमान हैं। राष्ट्रपति से अपील है कि वह मुसलमानों की ओर भी हाथ बढ़ाएं, मुसलमान अमरीकी भी उनका सहयोग करने को तैयार हैं।"
रैली में शामिल एक मुस्लिम संस्था वन नेशन यूएस के अध्यक्ष नदीम मियां का कहना था कि मुसलमान लोग अमरीका में ही रहेंगे। नदीम मियां कहते हैं, "अमरीका मुसलमानों का घर है, और हम अमरीका से कहीं नहीं जा रहे। हमें एक साथ मिलकर नफ़रत का जवाब प्यार से देना होगा।" काउंसिल ऑन अमरीकन इस्लामिक रिलेशन्स नामक एक मुस्लिम अमरीकी संस्था के मुताबिक़ अमरीका भर में ट्रंप की जीत के बाद से अब तक मुसलमानों के खिलाफ़ 100 से अधिक नस्ल और धर्म के आधार पर किए गए भेदभाव और हमलों के मामले दर्ज किए गए हैं। मुसलमानों में इस बात को लेकर ख़ौफ़ है कि ट्रंप जब सत्ता संभालेंगे तो किस क़िस्म की नीतियों पर अमल करेंगे।
न्यूयॉर्क की रैली में एक अमरीकी मुस्लिम ज़ीशान अहमद एक पोस्टर थामे हुए थे, जिस पर लिखा था कि अमरीका नस्ल के आधार पर भेदभाव नहीं करता। मुसलमानों के बारे में ट्रंप के बयानों के हवाले से ज़ीशान अहमद कहते हैं, "मुसलमानों में ख़ौफ़ इसलिए है क्यूंकि ट्रंप के बयानों से ये लगता है मानो वो कह रहे हों कि सारे मुसलमान ही आतंकवादी हैं। हम इस रैली के ज़रिए यह भी बताना चाहते हैं कि मुसलमान अमनपसंद हैं और सारे मुसलमान आतंकवादी नहीं हैं। "