Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Nov, 2017 09:45 PM
नबी हुसैन ने जिंदा रहने की अपनी सबसे बड़ी जंग एक पीले रंग के प्लास्टिक के ड्रम के सहारे जीती। रोहिंग्या मुसलमान किशोर नबी की उम्र महज 13 साल है और वह तैर भी नहीं सकता।
म्यांमार में अपने गांव से भागने से पहले उसने कभी करीब से समुद्र नहीं देखा था।...
शाह पोरिर द्वीप: नबी हुसैन ने जिंदा रहने की अपनी सबसे बड़ी जंग एक पीले रंग के प्लास्टिक के ड्रम के सहारे जीती। रोहिंग्या मुसलमान किशोर नबी की उम्र महज 13 साल है और वह तैर भी नहीं सकता।
म्यांमार में अपने गांव से भागने से पहले उसने कभी करीब से समुद्र नहीं देखा था। उसने म्यांमार से बंगलादेश तक का समुद्र का सफर प्लास्टिक के खाली ड्रम पर अपनी मजबूत पकड़ के सहारे लहरों को मात देकर पूरा किया। करीब अढ़ाई मील की इस दूरी के दौरान समुद्री लहरों के थपेड़ों के बावजूद उसने ड्रम पर अपनी पकड़ नहीं छोड़ी। म्यांमार में हिंसा की वजह से सहमे रोहिंग्या मुसलमान हताशा में अपना घर-बार सब कुछ छोड़ कर वहां से निकलने की कोशिश में तैर कर पड़ोसी बंगलादेश में जाने की कोशिश कर रहे हैं।