तीसरे विश्व युद्ध की बज गई घंटी !

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Sep, 2017 03:09 PM

third world war bell blew

उत्तर कोरिया के सनकी किंग ने आखिर तीसरे विश्वयुद्ध  की घंटी बजा ही दी...

प्योंगप्यांगः उत्तर कोरिया के सनकी किंग ने आखिर तीसरे विश्वयुद्ध  की घंटी बजा ही दी। हाल ही में किम जोंग ने अपने जन्मदिन का जश्न केक काटकर नहीं मिसाइल दाग कर मनाया। ये सनकी कभी एटम बम का परीक्षण करता है, कभी हाइड्रोजन बम टेस्ट करता है तो कभी बैलेस्टिक मिसाइल फोड़ता है। सनकी किंग ने अमरीका की चेतावनियों को नजरअंदाज करते हुए हाल ही में अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया, जिसकी पहुंच अमरीका तक है और अब उसने हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया। जिसको लेकर जापान, दक्षिण कोरिया और अमरीका उसपर कार्रवाई करने का मन बना रहे हैं।

जुलाई में किम ने पहले अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया था। इस पर अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उसे सख्त चेतावनी दी थी, लेकिन सनकी पर इसका कोई असर नहीं हुआ और फिर अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल दाग दी। इस मिसाइल का नाम वासॉन्ग-14 है। इसकी मारक क्षमता 10 हजार किमी. से भी ज्यादा है। ये परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। इस मिसाइल से अमरीका के लॉस ऐंजिलिस, डेनवर और शिकागो जैसे शहरों को पलभर में तबाह कर सकता है।  अब सवाल उठता है कि एटम बम वाले सनकी तानाशाह जिसने तीसरे विश्व युद्ध का सायरन बजा दिया है, को समझाने के लिए क्या किया जा सकता है।
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उत्तर कोरिया के चीन और रुस से अच्छे संबंध हैं। ऐसे में किम को बातचीत की टेबल पर लाने में चीन और रूस बड़ी भूमिका निभा सकते हैं, लेकिन इस बात के चांस बहुत कम है कि किम जोंग इसके लिए तैयार होगा।  किम जोंग का सनकीपन सही करने के लिए उस पर दुनिया के सभी छोटे-बड़े देश मिल कर कड़ा आर्थिक प्रतिबंध लगा सकते हैं, लेकिन इतिहास गवाह रहा है कि सनकी तानाशाह पर जितने प्रतिबंध लगे  उसकी सनक उतनी ही ज्यादा बढ़ती गई।

ऐसे में अमरीका के पास एक विकल्प बचता है। दक्षिण कोरिया की मदद से सनकी तानाशाह के चुनिंदा ठिकानों पर मिलिट्री ऑपरेशन का, लेकिन डर ये है कि हमले की प्रतिक्रिया में किम जोंग अपनी सबसे घातक मिसाइलों को अमरीकी शहरों की ओर न दाग दे। वह दक्षिण कोरिया पर परमाणु हमला कर सकता। अमरीका के पास उत्तर कोरिया पर सीधा हमले का विकल्प बचता है।

अमरीका बहुत ताकतवर है, लेकिन दिक्कत ये है कि सनकी तानाशाह से निपटने के लिए अमेरिका को भारी तादाद में सैनिक कोरिया में उतारने होंगे और अमरीका सहयोगी दक्षिण कोरिया भी नहीं चाहेगा कि युद्ध हो क्योंकि युद्ध की सबसे ज्यादा कीमत उसे ही चुकानी पड़ेगी और बिना दक्षिण कोरिया की मदद के अमेरिकी सैनिक उत्तर कोरिया के खिलाफ युद्ध नहीं लड़ सकते।सनकी तानाशाह से निपटने का एक और तरीका रक्षा विशेषज्ञ बताते हैं जो कूटनीति की किताब में कहीं नहीं लिखा गया है। जानकारों का मानना है कि अमेरिका गुप्त ऑपरेशन के जरिए अपने सीक्रेट एजेंटों की मदद से किम जोंग का काम तमाम करवा सकता है। इसके उत्तर कोरिया को भी सनकी तानाशाह से आजादी मिल जाएगी और तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा भी टल जाएगा।


 

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