Edited By ,Updated: 15 Apr, 2017 05:51 PM
ब्रिटेन के साऊथ हैम्पटन से न्यूयॉर्क की यात्रा पर निकला आरएमएस टाइटैनिक जहाज 15 अप्रैल (1912)को समुद्र में डूबा था। टाइटैनिक 10 अप्रैल 1912 को इंग्लैंड...
लंदन: ब्रिटेन के साऊथ हैम्पटन से न्यूयॉर्क की यात्रा पर निकला आरएमएस टाइटैनिक जहाज 15 अप्रैल (1912)को समुद्र में डूबा था। टाइटैनिक 10 अप्रैल 1912 को इंग्लैंड के साऊथम्पटन से न्यूयॉर्क के लिए अपनी पहली यात्रा पर निकला था। 4 दिन के बाद 14 अप्रैल की रात 11 बजकर 40 मिनट पर चालक दल की लापरवाही से टाइटैनिक एक आइसबर्ग से टकरा गया और टाइटैनिक के निचले हिस्सों में पानी भरना शुरू हो गया।
व्हाइट स्टार लाइन कंपनी का यह 52,310 टन वजनी जहाज बर्फ के विशाल टुकड़े से टकराने के 2 घंटे 40 मिनट बाद ही डूब गया था। इस हादसे में 1,500 से ज्यादा यात्री मारे गए थे। जहाज पर 2,224 यात्री सवार थे। जहाज के टकराने से लोग घबरा गए लेकिन लाइफबोट्स से बच्चों और महिलाओं को बचाने का काम शुरू हो गया था। हिमखंड से टकराने के लगभग 3 घंटे बाद 15 अप्रैल की सुबह 2 बजकर 20 मिनट पर जहाज पूरी तरह से उत्तरी अटलांटिक महासागर में डूब गया।
टाइटैनिक से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
आरएमएस टाइटैनिक दुनिया का सबसे बड़ा पैसेंजर जहाज था। इसकी लंबाई 882 फीट थी। टाइटैनिक जहाज पर सवार 13 जोड़े हनीमून सेलिब्रेशन के लिए यात्रा पर निकले थे। टाइटैनिक की सीटी की आवाज 11 मील दूर से सुनी जा सकती थी। टाइटैनिक के इंजन को चलाने में हर दिन 825 टन कोयले की खपत होती थी। 20 नॉट्स (37 किलोमीटर) की रफ्तार से चल रहे टाइटैनिक को रोकने के लिए इसके इंजन को पूरी रफ्तार से उल्टा चलाने की जरूरत थी। इतनी रफ्तार पर भी यह आधे मील की दूरी में रुक सकता था।
टाइटैनिक के बारे में लिखी गई पुस्तक गुड एज गोल्ड के मुताबिक, टाइटैनिक बनाने वाली कंपनी व्हाइट स्टार लाइन के चेयरमैन ने टक्कर के बाद भी कैप्टन से जहाज को धीमी गति से आगे चलाते रहने की जिद की। करीब दस मिनट तक चलने के बाद जहाज की पेंद में घुस रहे पानी का दबाव बढ़ गया जिसकी वजह से टाइटैनिक जल्दी डूब गया। अगर जहाज को टक्कर के बाद पानी में स्थिर खड़ा रखा जाता तो ये कई घंटों बाद पानी में डूबता जिससे चार घंटे की दूरी पर खड़े दूसरे जहाज से मदद मिल सकती थी और हादसे का शिकार हुए 1500 से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सकती थी। टाइटैनिक जहाज का मलबा इसके डूबने के 70 साल बाद मिला। 1985 में इसकी खोज के बाद मिले मलबे के कुछ हिस्सों को विश्व के कई म्यूजियम में भी रखा गया है। इतिहास में अभी तक डूबे सारे विशाल जहाजों के मलबे में टाइटैनिक का मलबा दूसरे नंबर पर आता है।