ट्रंप ने पहले दिन ही तोड़े 34 वायदे,  इस समझौते से भी खींचे हाथ

Edited By ,Updated: 24 Jan, 2017 11:44 AM

trump fails to fulfill 34 promises on first day in office

दुनिया का सबसे ताकतवर ओहदा संभालने के बाद अब अमरीका ही नहीं, पूरी दुनिया की नजर डोनाल्ड ट्रंप पर है...

वॉशिंगटनः दुनिया का सबसे ताकतवर ओहदा संभालने के बाद अब अमरीका ही नहीं, पूरी दुनिया की नजर डोनाल्ड ट्रंप पर है। 20 जनवरी को दफ्तर संभालने के बाद ट्रंप ने ओबामा के कई अहम फैसलों को पलटा है। इसके बावजूद चुनाव प्रचार के दौरान किए दावों पर खरा उतरना उनके लिए मुश्किल साबित हो रहा है। अपने प्रचार अभियान में ट्रंप ने अमरीकी जनता से करीब 663 वादे किए थे। ट्रंप का कहना था कि इनमें से 36 पर वो सत्ता संभालने के पहले दिन ही अमल करेंगे,  लेकिन वो सिर्फ 2 ही वायदों की कसौटी पर खरे उतर पाए।

सत्ता संभालने के बाद ट्रंप ने पहला काम ओबामा के स्वास्थ्य कार्यक्रम 'ओबामाकेयर' को वापस लेने का किया। ट्रंप लंबे वक्त से इस कार्यक्रम की आलोचना करते आए हैं।उन्होंने इससे अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले बोझ को कम करने का भरोसा दिलाया था। इसके अलावा ट्रंप ने सरकारी नियुक्तियों पर रोक लगाने के आदेश पर भी दस्तखत किए। इसका मकसद सरकारी वर्कफोर्स को घटाना है। ट्रंप ने ड्रग डीलर्स के खिलाफ पहले ही दिन कार्रवाई करने का वायदा नहीं निभाया।उन्होंने अक्तूबर 2016 में वोटरों को भरोसा दिलाया था कि राष्ट्रपति बनने के पहले मिनट में ही वो ओबामा के उस अप्रवासी कानून को बदलेंगे जिसके तहत बिना कागजात अमरीका में रह रहे नाबालिग अप्रवासियों को निर्वासित करने के लिए 2 साल का वक्त दिया जाएगा लेकिन ट्रंप ने पहले दिन ऐसा कोई फैसला नहीं लिया।

ट्रंप ने अगस्त 2016 में कहा था कि वो राष्ट्रपति का दफ्तर संभालने के पहले ही घंटे में आपराधिक रिकॉर्ड वाले 20 लाख अप्रवासियों को अमरीका से बाहर निकाल देंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। इसी तरह डोनाल्ड ट्रंप पहले ही दिन चीन के खिलाफ कदम उठाने की बात पर भी खरे नहीं उतरे। इन मोर्चों पर खरा न  उतरने के बावजूद ट्रंप ने व्हाइट हाउस में पहले हफ्ते के दौरान कुछ अहम फैसले लिए हैं। इनमें ट्रांस-पेसिफिक समझौते से हाथ खींचना भी शामिल है। ओबामा ने 2015 में इस समझौते पर दस्तखत किए थे और इसे चीन के 'वन बेल्ट, वन रोड' प्रोजेक्ट का जवाब माना जा रहा था, लेकिन ट्रंप की राय में ये समझौता अमरीकी उत्पादकों के लिए फायदेमंद नहीं था। साथ ही ट्रंप ने राष्ट्रपति बनते ही ऐसे समूहों की फंडिंग रोक दी है जो गर्भपात को बढ़ावा देते हैं। 

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