Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Aug, 2017 06:38 PM
आतंकवादियों को शरणस्थली मुहैया कराने के खिलाफ अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ...
इस्लामाबाद: आतंकवादियों को शरणस्थली मुहैया कराने के खिलाफ अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस्लामाबाद को दी गई चेतावनी के मद्देनजर पाकिस्तान सरकार अपने आगे के रुख पर चर्चा करने और उसे अंतिम रूप देने के लिए संसद का संयुक्त सत्र बुलाने की योजना बना रही है।
‘डॉन न्यूज’ की खबर में बताया गया है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने कल रात सीनेट में अपने संक्षिप्त बयान में संकेत दिया कि इस मामले पर चर्चा के लिए संयुक्त सत्र बुलाया जा सकता है। अब्बासी ने अमरीका के रूख को एक गंभीर विषय बताया और कहा कि संघीय कैबिनेट ने मंगलवार को इस पर तीन घंटे विचार विमर्श किया और एनएससी ने इस मामले पर चार घंटे चर्चा की। इससे पहले, सीनेट अध्यक्ष रजा रब्बानी ने प्रधानमंत्री को सूचित किया था कि अमरीकी राष्ट्रपति के आक्रामक बयानों के बाद आगे का रुख तय करने के लिए सीनेट पैनल का गठन किया गया है। उन्होंने कहा था कि पैनल मसौदे को पूरा करने की कगार पर है।
खबर में कहा गया है कि उन्होंने प्रस्ताव रखा कि पारित करने या किसी संशोधन के लिए इन सिफारिशों को संसद की संयुक्त बैठक में पेश किया जाएगा और इस विचार को प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से स्वीकार कर लिया। रब्बानी ने संकेत दिया कि सीनेट द्वारा मसौदा पारित होने के बाद इसे संसद के संयुक्त सत्र में ले जाया जाएगा। इससे पहले ट्रंप के बयान पर चर्चा में भाग लेते हुए सीनेटरों ने कहा कि अमरीका को यह याद रखना चाहिए कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में आगे रहा है और वह सर्वाधिक प्रभावित हुआ है।
उन्होंने कहा कि सहायता के रूप में डॉलर हासिल करने के लिए पाकिस्तान का मजाक उड़ाने वाले अमरीका को यह याद रखना चाहिए कि उसने युद्ध में पाकिस्तान को हुए करीब 150 अरब डॉलर के नुकसान का एक अंश भी नहीं दिया है। खबर में कहा गया है कि सीनेटरों ने कहा कि तत्कालीन सैन्य शासक ‘‘जनरल परवेज मुशर्रफ के अमरीका के सामने पूर्ण आत्मसमर्पण’’के बाद देश में हुए विस्फोटों के कारण पाकिस्तान के शैक्षणिक संस्थान, स्वास्थ्य सुविधाएं और अन्य बुनियादी सुविधाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।उन्होंने कहा कि इसके अलावा हजारों आम नागरिकों और सशस्त्र कर्मियों की जान गई। पूर्व गृह मंत्री रहमान मलिक ने कहा कि वाशिंगटन से मिली चेतावनी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।