आतंकवाद से चुनिंदा तौर से लडऩे का खामियाजा भुगत रहे हैं यूरोपीय देश

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Sep, 2017 11:11 AM

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भारी सुरक्षा बंदोबस्तों के बावजूद ब्रिटेन सहित यूरोपीय देशों में आतंकवादी हमलों का जारी रहना न केवल ब्रिटेन बल्कि अमरीका और सभी पश्चिमी देशों

नई दिल्ली: भारी सुरक्षा बंदोबस्तों के बावजूद ब्रिटेन सहित यूरोपीय देशों में आतंकवादी हमलों का जारी रहना न केवल ब्रिटेन बल्कि अमरीका और सभी पश्चिमी देशों के भारी चिंता पैदा कर रहा है।  राजनयिक पर्यवेक्षक इन हमलों के  पीछे अमरीका और ब्रिटेन की दोमुंही नीतियों को ही जिम्मेदार मानते हैं जो चुनिंदा तरीके से आतंकवादी ताकतों से लड़ते रहे हैं और अपने तात्कालिक राष्ट्रीय हितों के नजरिए से अफगानिस्तान से लेकर पश्चिम एशिया में धर्मनिरपेक्ष मानी जाने वाली इस्लामी  सरकारों के लिये मुश्किलें पैदा करते हैं। 

 लंदन में अंडरग्राउंड ट्रेन में हुए ताजा हमलों के बाद जिस तरह इस्लामिक स्टेट के लोगों ने खुशियां मनाई हैं वह आने वाले भयावह दिनों की ओर संकेत करती है। पर्यवेक्षकों के मुताबिक ब्रिटेन में इस्लामी आतंकवादी यह बहाना लगा कर हमले करते हैं कि ब्रिटिश फौज इराक से लेकर सीरिया तक इस्लामी उग्रवादियों पर हमले बोल रहे  है। ये इस्लामी आतंकवादी संगठित हो कर हमले नहीं करते बल्कि अकेला भेडिय़ा (लोन वुल्फ )या स्ट्रे डाग यानी आवारा कुत्ते  की तरह राह चलते किसी पर भी हमला कर रहे हैं जो ब्रिटेन की सुरक्षा एजेंसियों के लिये सबसे बड़ी चिंता की बात है। न केवल ब्रिटेन बल्कि यूरोप और अमरीका में  इन अकेले भेडिृयों के आतंक की वजह से  लगी सुरक्षा बंदिशों का खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ रहा है। 

इराक , सीरिया और लीबिया में  धर्मनिरपेक्ष माने जाने वाले इस्लामी तानाशाहों को गिराया गया और  अफगानिस्तान में जनतांत्रिक तौर पर चुनी हुई सरकार  के खिलाफ इस्लामी तालिबानी ताकतों को बढ़ावा देने की पाकिस्तान की नीति के सामने घुटने टेके गए । इसी वजह से पूरे दक्षिण एशिया और पश्चिम एशिया की जेहादी ताकतों ने यूरोपीय देशों में भी अपने पांव जमाए और वहीं से ब्रिटिश और यूरोपीय सरकारों को परेशान करने की गतिविधियां शुरु की। यही वजह है कि आतंकवादी हमलों के नजरिये से साल 2017  ब्रिटेन  के लिये सबसे दर्दनाक कहा जा सकता है।  लंदन ब्रिज पर गत जून में हुए आतंकवादी हमले के जख्म को लोग सहला ही रहे थे कि 15 सितम्बर को लंदन मेट्रो रेल पर  एक और  आतंकवादी हमले ने लोगों में सिहरन पैदा कर दी। हालांकि यह  बालटी हमला पूरी तरह सफल नहीं हुआ अन्यथा  भारी संख्या में एक बार फिर लोग हताहत होते। 

 इसके पहले 22 मई को मैनचेस्टर में  एक संगीत सभागार में हुए एक आत्मघाती हमले में 22 लोग मारे गए थे और 59 घायल हो गए थे। इसके पहले छह मार्च को लंदन में संसद भवन के नजदीक आतंकवादी हमले में छह लोग मारे गए और 50 घायल हो गए थे।  वैसे तो ब्रिटेन पिछली सदी  में उत्तरी आयरलैंड के  आयरिश आतंकवादी हमलों का आदी रहा है लेकिन ब्रिटेन में इस दशक में  इस्लामी आतंकवादी हमलों ने तेजी पकड़ी है जो   एक नयी  बात है जिसे लेकर ब्रिटेन में गहरी चिंता है। ब्रिटेन में दक्षिण एशिया और पश्चिम एशिया के मुस्लिम आव्रजक भारी संख्या में रहते हैं। हाल में ब्रिटेन की मस्जिदों में मु्िस्लम उग्रवादियों द्वारा जेहादी गतिविधियों के बढऩे पर भी ब्रिटिश सुरक्षा एजेंंसियों की नजर है लेकिन इन एजेंसियों ने इनके मंसूबों को ठीक से नहीं समझा और जरूरी एहतियाती कदम नहीं उठाये । अब जब कि एक के बाद एक लगातार आतंकवादी हमलें हो रहे हैं ब्रिटेन की सुरक्षा एजेंसियां मुसलमान आव्रजकों के पीछे पड़ गई  हैं। इसका खामियाजा अब आम विमान यात्रियों को भी भुगतना पड़ रहा है जिन्हें विमानों में  लैपटाप ले जाने पर  पाबंदी लगा दी गई है। 

दक्षिण एशिया में आतंकवाद का गढ़ माने जाने वाले पाकिस्तान के खिलाफ ब्रिटेन सहित अमरीकी और यूरोपीय सरकारों  ने जुबानी बोल के अलावा चोट लगने वाली जमीनी कार्रवाई नहीं की। भारत के भगोड़े अपराधी सरगना और आतंकवादी घोषित दाऊद इब्राहीम की ब्रिटेन में सम्पत्ति  कुर्क करने की कार्रवाई काफी पहले ही की जानी चााहिेये थी।   पाकिस्तान आतंकवाद की नर्सरी है जहां से ब्रिटेन के कई आतंकवादी प्रशिक्षित हो कर ब्रिटेन में कार्रवाई करते रहे हैं लेकिन इनकी गतिविधियों  पर ब्रिटिश एजेंसियां काबू नहीं पा सकी हैं। पर्यवेेक्षक कहते हंैं कि आतंकवाद फैलाने वाले सभी  देशों के खिलाफ समग्रता में कार्रवाई करनी होगी।  तभी आतंकवाद पर काबू पाया जा सकता है

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