Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Jul, 2017 04:54 PM
परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध से संबंधित पहली वैश्विक संधि की स्वीकृति के लिए संयुक्त राष्ट्र में 120 से अधिक देशों ने मतदान किया, जबकि भारत तथा अमरीका,चीन एवं पाकिस्तान ...
संयुक्त राष्ट्र: परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध से संबंधित पहली वैश्विक संधि की स्वीकृति के लिए संयुक्त राष्ट्र में 120 से अधिक देशों ने मतदान किया, जबकि भारत तथा अमरीका,चीन एवं पाकिस्तान समेत 8 अन्य परमाणु सम्पन्न देशों ने परमाणु हथियार प्रतिबंध के साधन को लेकर कानूनी तौर पर बाध्यकारी इस वार्ता में हिस्सा नहीं लिया।
परमाणु अप्रसार के लिए कानूनी तौर पर बाध्यकारी पहले बहुपक्षीय साधन परमाणु हथियार निषेध संधि को लेकर 20 वर्ष वार्ताओं का दौर चला। कल भारी प्रशंसा के बीच 122 देशों ने इसके पक्ष में और नीदरलैंड्स ने इसके खिलाफ मतदान किया जबकि सिंगापुर मतदान की प्रक्रिया से बाहर रहा। भारत एवं अन्य परमाणु सम्पन्न राष्ट्रों - अमरीका, रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इस्राइल ने वार्ता में हिस्सा नहीं लिया।
परमाणु हथियारों पर रोक के मकसद से इसे कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाने के संबंध में इस साल मार्च में इसका मूल सत्र आयोजित हुआ था। परमाणु हथियारों के पूर्ण उन्मूलन की दिशा में पिछले साल अक्तूबर में परमाणु हथियारों पर रोक के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी सनद को लेकर वार्ता हुई थी और इससे संबद्ध संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक प्रस्ताव पर 120 से अधिक राष्ट्रों ने मतदान किया था।
बहरहाल भारत इस प्रस्ताव से दूर रहा था।अक्तूबर में आए प्रस्ताव से दूर रहने के संबंध में भारत ने मतदान स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि भारत इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं था कि प्रस्तावित सम्मेलन परमाणु अप्रसार पर व्यापक साधन के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की दीर्घकालिक उम्मीद का निवारण कर सकता है। भारत ने कहा कि वह परमाणु अप्रसार को लेकर वार्ताएं शुरू किए जाने का समर्थन करता है जबकि भारत इस बात पर भी कायम रहा था कि जिनेवा में हुई कॉन्फ्रेंस ऑन डिस्र्मामेंट(सीडी) एकमात्र बहुपक्षीय परमाणु अप्रसार वार्ता मंच है।