Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Mar, 2018 12:57 AM
संयुक्त राष्ट्र ने तुर्की से देश में पिछले 20 माह से जारी आपातकाल को समाप्त करने का आग्रह करते यह आरोप भी लगाया है कि उसने बड़े पैमाने पर लोगों को गिरफ्तार किया और मनमाने तरीके से लोगों को सेवाओं से बर्खास्त कर अपनी शक्ति का जमकर दुरुपयोग किया है।...
जिनेवा: संयुक्त राष्ट्र ने तुर्की से देश में पिछले 20 माह से जारी आपातकाल को समाप्त करने का आग्रह करते यह आरोप भी लगाया है कि उसने बड़े पैमाने पर लोगों को गिरफ्तार किया और मनमाने तरीके से लोगों को सेवाओं से बर्खास्त कर अपनी शक्ति का जमकर दुरुपयोग किया है। इस तरह की गतिविधियां सामूहिक दंड के दायरे में आती हैं। इस बीच तुर्की के विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा है कि ये आरोप निराधार हैं और यह आलोचना आतंकवादी समूहों के दुष्प्रचार की घोषणाओं जैसा है।
मानवाधिकार कार्यालय ने कहा है कि तुर्की ने 160,000 लोगों को गिरफ्तार किया है और जुलाई 2016 के असफल तख्तापलट के बाद से इतने ही सरकारी नौकरशाहों को बर्खास्त किया है। इस दमनात्मक कार्रवाई का जनता पर प्रतिकूल पड़ा और उनमें यह डर व्याप्त हो गया कि अब विद्रोही तेवर रखने वाले लोगों को दंडित किया जाएगा। इस असफल तख्ता पलट के बाद राष्ट्रपति तैयिप अर्दोगान ने आपातकाल की घोषणा की थी और यह अभी भी लागू है।
मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार इसका इस्तेमाल कैदियों पर अत्याचारों को न्यायोचित ठहराने और न्यायपालिका के कामकाज में हस्तक्षेप करने के लिए किया गया। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि तुर्की को तुरंत आपातकाल की स्थिति को समाप्त कर सभी संस्थानों के कामकाज को सामान्य कर देना चाहिए और विधि का शासन स्थापित करना चाहिए।
विदेश मंत्रालय ने अंकारा में कहा है कि इस रिपोर्ट को जानबूझकर तुर्की के खिलाफ भेदभावपूर्ण तरीके से तैयार किया गया और इसमें तुर्की को दी जा रही गंभीर आतंकवादी धमकियों को नजरअंदाज किया गया है। यह रिपोर्ट पूरी तरह से निराधार है और आतंकवादी संगठनों के दुष्प्रचार प्रयासों से बहुत मेल खाती है।