भारत-पाक का ये मसला सुलझाने के लिए अमरीका ने की पहल

Edited By ,Updated: 03 Jan, 2017 12:34 PM

us initiates process for resolving indo pak water dispute

भारत-पाक के बीच मौजूदा जल विवाद को सुलझाने के लिए अमरीका ने अपनी ओर से पहल शुरू की है...

 इस्लामाबादः भारत-पाक के बीच मौजूदा जल विवाद को सुलझाने के लिए अमरीका ने अपनी ओर से पहल शुरू की है, हालांकि इसके लिए अमरीकी प्रशासन से किसी तरह की मदद नहीं मांगी गई थी। मौजूदा जल विवाद दो हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट – किशनगंगा व रातले से संबंधित है, जो भारत की ओर से सिंधु नदी पर बनाया जा रहा है। पाकिस्तान का मानना है कि ये दोनों प्रोजैक्ट सिंधु जल समझौते का उल्लंघन करते हैंं क्योंकि यह समझौता ऐसी परियोजनाओं के लिए विशेष मानदंड उपलब्ध कराता है।

इस हफ्ते के आरंभ में अमरीकी सचिव जॉन केरी ने वित्त मंत्री इशाक डार को बुलाया और इस विवाद के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए विभिन्न विकल्पों पर बात की। इसके बाद पाकिस्तान में अमरीकी राजदूत डेविड हैले ने भी इस्लामाबाद स्थित वित्त मंत्रालय में डार से मुलाकात की। क्रिसमस की छुट्टियों में अमरीकी अधिकारियों की ओर से किया जा रहा इस तरह का काम असामान्य है और विशेषतौर पर तब जब ओबामा प्रशासन का कार्यकाल 20 जनवरी को पूरा हो रहा है। लेकिन इस विवाद की गंभीरता को देखते हुए इस वक्त केरी को यह पहल करना पड़ा।

19 सितंबर 1960 में कराची में विश्व बैंक की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे। इसके अनुसार भारत का जहां व्यास, रवि और सतलुज नदियों पर नियंत्रण है  वहीं पाकिस्तान का सिंधु, चेनाब और झेलम पर नियंत्रण  है। संधि के तहत विवाद की स्थिति में विश्व बैंक मध्यस्थता कर सकता है। 23 दिसंबर को वित्त मंत्री डार ने बैंक को कहा कि पाकिस्तान अपने आग्रह से पीछे नहीं हटेगा और चूंकि इस पर पहले ही देर हो चुकी है, तो जितनी जल्द हो सके इस मामले में मध्यस्थता के लिए बैंक की ओर से चेयरमैन की नियुक्ति हो जानी चाहिए। इस संधि के तहत विवाद में शामिल पार्टी की ओर से मध्यस्थता की आग्रह के बाद 60 दिनों के भीतर ही मध्यस्थता के लिए चेयरमैन और इनके तीन सदस्यों की नियुक्ति हो जानी चाहिए।

पाकिस्तान ने वर्ल्ड बैंक से मध्यस्थता के लिए अध्यक्ष नियुक्त करने को कहा है, जबकि भारत ने तटस्थ विशेषज्ञ की मांग की है। वर्ल्ड बैंक के प्रेसिडेंट जिम योंग किम ने दोनों देशों के वित्त मंत्रियों को लिखा और सूचित किया कि उन्होंने मध्यस्थता के आग्रह पर अभी विराम लगा दिया है और उन्हें जनवरी के अंत तक यह निर्णय लेने को कहा कि वे किस तरह इस विवाद को सुलझाना चाहते हैं। यदि दोनों देश अंपायर को नियुक्त करने में असफल होते हैं तो संधि में उल्लिखित नामों की ड्रॉ निकाली जाएगी और अंपायर को चुना जाएगा। कानूनन अंपायर को ड्रॉ के जरिए संयुक्त राष्ट्र के चीफ जस्टिस या इंग्लैंड के चीफ जस्टिस चुन सकते हैं। 2016 में पाकिस्तान अपने आग्रह के साथ विश्व बैंक के पास गया था। पाकिस्तान के अनुसार, भारत नीलम व चेनाब नदियों पर अवैध निर्माण कर रहा है और इसे रोकने के लिए उसने वर्ल्ड बैंक से आग्रह किया था।
 

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