चीन के 'वन बेल्ट, वन रोड' फोरम में अमरीका का यू-टर्न

Edited By ,Updated: 13 May, 2017 12:05 PM

us makes u turn to drive down one belt one road initiative

चीन के शहर पेइचिंग में ''वन बेल्ट वन रोड''(OBOR)फोरम में हिस्सा लेने अब अमरीका भी शामिल होगा...

पेइचिंग: चीन के शहर पेइचिंग में 'वन बेल्ट वन रोड'(OBOR)फोरम में हिस्सा लेने अब अमरीका भी शामिल होगा। 


अमरीका के यू-टर्न से बढ़ी भारत की चिंता
चीन में 14 और 15 मई को आयोजित इस फोरम में अमरीका द्वारा अचानक लिए यू-टर्न ने भारत की चिंताएं बढ़ा दी हैं। अमरीका का यह कदम भारत पर काफी दबाव डालने वाला है। हालांकि भारत ने अभी तक इस फोरम में किसी भी प्रतिनिधि को भेजने पर कोई फैसला नहीं किया है। भारत का कहना है कि चीन के इस प्रॉजेक्ट को लेकर विश्वास का कोई खास माहौल नहीं है।


चीन के इरादे है कुछ एेसे 
बता दें कि चीन CPEC के जरिए शिनजियांग को ग्वादर बंदरगाह से जोड़ने की फिराक में है जिसे उसने बलूचिस्तान में बनाया है। भारत की संप्रभुता की उपेक्षा करते हुए चीन इसे गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके से गुजार रहा है जिस पर भारत अपना दावा पेश करता है।


भारत को नहीं होगा कोई नुकसान 
OBOR फोरम में अगर भारत अपना कोई प्रतिनिधि नहीं भी भेजता है तो भी इससे भारत को कोई खास नुकसान नहीं होने वाला है। संभव है कि भारत इसमें कनिष्ठ स्तर के प्रतिनिधियों को भेजे और उच्च स्तरीय अधिकारियों को भेजन से बचे। इस बैठक में 50 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि और विश्व बैंक जैसी संस्थाओं के प्रतिनिधि भाग लेंगे, जिसमें कुछ भारतीय विशेषज्ञ भी शामिल हो सकते हैं। बता दें कि इस बैठक में 50 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधि और विश्व बैंक जैसी संस्थाओं के प्रतिनिधि भाग लेंगे, जबकि 28 देशों के नेता इसमें शिरकत करने के लिए पहुंच रहे हैं। इन नेताओं में रूस से राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी शामिल हैं। उनके अलावा पश्चिमी देशों में सबसे बड़ा नाम इटली के प्रधानमंत्री पाओलो जेंटिलोनी का है। 


हालांकि इस बैठक में अमरीका का भाग लेना एक राजनीतिक फैसला है, लेकिन ऐसा लगता है कि अमरीका इसमें आर्थिक भागेदारी भी निभाने जा रहा है। चीन ने '100 डे प्लान' समझौते के तहत अमरीकी बीफ खरीदने की प्रतिबद्धता जताई है। दूसरी तरफ अमरीका अपने यहां चीनी बैंकों को विस्तार के लिए अनुमति प्रदान करेगा। अमरीका मैथ्यू पॉटिंगर की अगुवाई में एक इंटर-एंजेसी प्रतिनिधि दल भेज रहा है। मैथ्यू ट्रंप प्रशासन के टॉप सलाहकार और एनएसए, पूर्वी एशिया के वरिष्ठ निदेशक हैं।

चाइनास एशियन ड्रीम के लेखक टॉम मिलर ने कहा, 'यह रोडमैप कैसा होगा, यह पूरी तरह से चीनी कंपनियों या चीनी सरकार के अन्य देशों के साथ समझौते पर निर्भर करेगा। कोई नहीं जानता कि वे आखिर क्या करने जा रहे हैं।' चीन के साथ सैन्य मतभेद रखने वाले जापान और दक्षिणी कोरिया भी पेइचिंग अपने प्रतिनिधि भेजने को तैयार हैं। इसके अलावा वियतनाम, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका भी इसमें हिस्सा लेंगे।

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