एम्स का निर्माण कार्य शुरू ना होने पर उठा बवाल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Jun, 2017 11:39 AM

aiims is not ready to start construction

केंद्र सरकार द्वारा 27 मई, 2016 को जम्मू और कश्मीर संभागों में एक-एक अखिल भारतीय आयुॢवज्ञान संस्थान (एम्स) की स्थापना को मंजूरी दी गई थी, लेकिन इस मंजूरी को एक वर्ष से अधिक समय बीतने के बावजूद अभी तक दोनों एम्स में से किसी का निर्माण कार्य शुरू नहीं...

जम्मू : केंद्र सरकार द्वारा 27 मई 2016 को जम्मू और कश्मीर संभागों में एक-एक अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्थापना को मंजूरी दी गई थी, लेकिन इस मंजूरी को एक वर्ष से अधिक समय बीतने के बावजूद अभी तक दोनों एम्स में से किसी का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। एम्स स्थापना की इस धीमी चाल को लेकर जम्मू संभाग के लोगों का संयम जवाब देने लगा है। इस संबंध में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त एवं सचिव डा. पवन कोतवाल से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई। 

 

उल्लेखनीय है कि जम्मू संभाग के लोगों ने पहले भी आंदोलन कर केंद्र सरकार से एम्स मंजूर करवाया था। शुरू में केवल कश्मीर संभाग को ही एक एम्स देने की घोषणा हुई थी। इसके बाद जम्मू में उठे बवाल को शांत करने के लिए केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर दोनों संभागों में 1-1 एम्स स्थापित करने की घोषणा कर दी थी, लेकिन इसके बावजूद एम्स को लेकर जम्मू में ज्यादा बेचैनी इसलिए महसूस की जाती है, क्योंकि जम्मू में एक बड़े चिकित्सा संस्थान की ज्यादा जरूरत है। जहां तक कश्मीर संभाग का सवाल है तो वहां एस.के.आई.एम.एस. (शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मैडीकल साइंसिज) और जी.एम.सी. (गवर्नमैंट मैडीकल कालेज) जैसे कई बड़े संस्थान पहले ही स्थापित हैं, जबकि जम्मू संभाग के सभी 10 जिलों का बोझ केवल जी.एम.सी. को झेलना पड़ता है। 

 


हमारी तरफ से कोई देरी नहीं : डी.सी. साम्बा

साम्बा जिले के विजयपुर में प्रस्तावित जम्मू संभाग के एम्स के निर्माण कार्य में हो रही देरी के सवाल पर साम्बा जिला उपायुक्त श्रीमती शीतल नंदा का कहना है कि उनकी तरफ से कोई देरी नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि एम्स के लिए स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को ट्रांसफर की गई सरकारी भूमि पर तो कोई विवाद ही नहीं है, केवल वन भूमि पर कुछ गुज्जर परिवारों का कब्जा है। इन परिवारों के पुनर्वास के लिए उनसे बात की गई है और आगामी 10-15 दिनों में प्रस्तावित अगली बैठक में इनके पुनर्वास पर अंतिम निर्णय ले लिया जाएगा। 

 

एम्स के लिए प्रस्तावित कुल 1600 कनाल भूमि में से गुज्जर परिवारों के कब्जे अधीन लगभग 600 कनाल जमीन है, शेष भूमि तो खाली ही है। एम्स निर्माण के लिए केंद्र सरकार से संबंधित विभागों को कुछ राशि भी जारी हो चुकी है। ऐसे में, एम्स निर्माण के लिए अधिकृत केंद्रीय लोक निर्माण विभाग जब चाहे निर्माण कार्य शुरू कर सकता है। इस प्रकार, राज्य सरकार की तरफ से कोई देरी नहीं है और अब केंद्रीय लोक निर्माण विभाग पर निर्भर करता है कि वह एम्स का निर्माण कार्य कब शुरू करता है। 

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